Rath Saptami 2022: 7 फरवरी को रथ सप्तमी पर करें सूर्यदेव की पूजा, इससे मिलते हैं इतने सारे फायदे

धर्म ग्रंथों में ऐसी अनेक तिथियां बताई गई हैं जिन पर सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ऐसी ही एक तिथि है माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी। इसे रथ सप्तमी (Rath Saptami 2022), आरोग्या सप्तमी (Arogya Saptami 2022) और अचला सप्तमी (Achala Saptami 2022) के नाम से जाना जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 6, 2022 3:39 AM IST / Updated: Feb 07 2022, 08:32 AM IST

उज्जैन. इस बार रथ सप्तमी का पर्व 7 फरवरी, सोमवार को है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान किया जाता है। फिर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाते हैं और पूजा करते हैं। इसके बाद दिन में ब्राह्मण और जरुरतमंद लोगों को दान देने का सिलसिला चलता रहता है। ग्रंथों में कहा गया है इस दिन व्रत रखकर तिल खाने से जाने अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

इस तिथि पर भगवान सूर्य को मिला रथ
- पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, मत्स्य पुराण में बताया गया है कि मन्वंतर की शुरुआत में इस तिथि पर ही भगवान सूर्य को रथ मिला था। इसलिए इस दिन सूर्य और उनके रथ की पूजा की जाती है। ग्रंथों का कहना है कि ऐसा करने से महापूजा के बराबर फल मिलता है। 
- श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को कंबोज के राजा यशोधर्मा के बारे में बताते हुए कहा था कि माघ महीने की इस सप्तमी का व्रत करने से उस राजा की कई बीमारियां खत्म हुईं और उसे बुढ़ापे में भी संतान हुई। इससे वो चक्रवर्ती राजा भी बना।
- ब्रह्म, स्कंद, शिव, अग्नि, मत्स्य, नारद और भविष्य पुराण में इस दिन को बहुत खास बताया है। इन पुराणों में कहा गया है कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर तीर्थ-स्नान और सूर्य पूजा से बीमारियां दूर होती हैं साथ ही उम्र भी बढ़ती है। 
- इस दिन किए गए दान का पुण्य कभी खत्म नहीं होता और कई गुना शुभ फल भी मिलता है। साथ ही इस दिन व्रत करने से संतान सुख मिलता है और मनोकामना भी पूरी होती है।

इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा 
- स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्घ्यदान दिया जाता है। अर्घ्यदान का अनुष्ठान सूर्य भगवान को कलश से धीरे-धीरे जल अर्पण करके किया जाता है। 
- इस अनुष्ठान के दौरान भक्तों को नमस्कार मुद्रा में होना चाहिए और सूर्य भगवान की दिशा के तरफ मुख होना चाहिए। 
- इसके बाद भक्त घी के दीपक और लाल फूल, कपूर और धूपबत्ती के साथ सूर्य भगवान की पूजा करते हैं। 
- यह माना जाता है कि इन सभी अनुष्ठानों करने से सूर्य भगवान अच्छे स्वास्थ्य दीर्घायु और सफलता का वरदान देते हैं।

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