Sankashti Chaturthi June 2022: संकष्टी चतुर्थी 17 जून को, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें

हिंदू धर्म में हर महीने कुछ विशेष व्रत किए जाते हैं। संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi June 2022) भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है।

Manish Meharele | Published : Jun 16, 2022 6:44 AM IST

उज्जैन. इस बार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जून, शुक्रवार को है। इसे कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2022) कहते हैं। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत भी किया जाता है। शाम को चंद्रमा के उदय होने पर उसकी पूजा करने के बाद ही ये व्रत संपूर्ण होता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थसिद्धि नाम का शुभ योग बन रहा है, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा से हर परेशानी दूर हो सकती है और मनोकामना भी पूरी होती है। आगे जानिए कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

संकष्टी चतुर्थी 2022 के शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi June 2022 Ke shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि 17 जून, शुक्रवार की सुबह 06.10 पर शुरू होगी, जो रात को 02.59 तक रहेगी। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 09.56 से शुरू होकर अगले दिन सुबह 05.03 तक रहेगा। यानी 17 जून को ये व्रत किया जाना शास्त्र सम्मत है।

ये है चंद्रोदय का समय 
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। इस बार चंद्रोदय 17 जून, शुक्रवार की रात 10.03 पर होगा। इस व्रत में शाम को भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और रात को चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण किया जाता है। आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय काफी देर से होता है।

इस विधि से करें पूजा (Sankashti Chaturthi june 2022 Puja Vidhi)
17 जून, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनकर संकष्टी चतुर्थी व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा के लिए स्थान सुनिश्चित करें और उसकी साफ-सफाई करें। शुक्रवार को चतुर्थी तिथि होने से इस दिन सफेद या चमकीले कपड़े पहनना शुभ रहेगा। इसके बाद भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र निश्चित किए गए स्थान पर स्थापित करें। गणेश प्रतिमा पर तिलक लगाएं, चावल चढ़ाएं और पंचोपचार पूजा करें। दीपक जलाएं, अगरबत्ती लगाएं। गणेशजी को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। शाम को चंद्रमा निकलें तो पूजा व अर्घ्य देने के बाद भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। इस प्रकार ये व्रत और पूजा करने से सभी तरह की परेशानी दूर हो सकती है।

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