हिंदू पंचांग का पांचवां महीना सावन (Sawan 2022) 14 जुलाई, गुरुवार से शुरू होने वाला है, जो 11 अगस्त तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व माना गया है क्योंकि ये भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में शिवजी की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
उज्जैन. इस बार सावन मास 14 जुलाई से 11 अगस्त तक रहेगा। मान्यता है कि इस पूरे महीने में जो भी व्यक्ति भगवान शिव की पूजा पूरी श्रृद्धा से करता है उसकी हर कामना पूरी हो जाती है। इसलिए इस महीने में शिव मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। वैसे तो शिवजी सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन फिर भी कुछ चीजें उन्हें विशेष रूप से चढ़ाई जाती हैं। लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो शिव पूजा में वर्जित हैं यानी इन्हें शिवजी को नहीं चढ़ाना चाहिए। आज हम आपको शिव पूजा के कुछ नियमों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
शिवजी को न चढ़ाएं हल्दी-सिंदूर और मेहंदी
धर्म ग्रंथों के अनुसार, शिवजी की पूजा में कभी हल्दी-सिंदूर और मेहंदी का उपयोग नही करना चाहिए। इसके पीछे का कारण है कि ये चीजें स्त्रियोचित हैं यानी स्त्रियों के श्रृंगार में काम आने वाली हैं, जबकि शिवजी पौरुषत्व का प्रतीक हैं। हल्दी- सिंदूर और मेहंदी का उपयोग देवी पूजा में किया जाना श्रेष्ठ रहता है लेकिन शिवजी की पूजा में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
शंख से जल न चढ़ाएं
शिवजी का अभिषेक किसी बर्तन में जल लेकर करना श्रेष्ठ रहता है लेकिन शंख में जल भरकर शिवजी का अभिषेक भूलकर भी नहीं करना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में इसकी मनाही है। इसका कारण है कि भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था, उसी की हडि्डयों से शंख का निर्माण हुआ। इसलिए भगवान शिव की पूजा में शंख का उपयोग वर्जित माना गया है।
न चढ़ाएं केतकी का फूल
शिवजी की पूजा में सभी फूल चढ़ाए जा सकते हैं, लेकिन केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता क्योंकि जब महादेव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मदेव की परीक्षा ली थी तो केतकी के पुष्प ने शिवजी से ब्रह्मदेव के पक्ष में झूठ बोला था। तभी से केतकी की फूल शिवजी की पूजा में वर्जित माना गया है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
1. ग्रंथों के अनुसार, कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जलाधारी को लांघा नहीं जाता।
2. शिवलिंग की पूजा जलधारी के सामने से नहीं करनी चाहिए। शिवलिंग पर तांबे के बर्तन से दूध नहीं चढ़ाना चाहिए।
3. इस बात का ध्यान रखें कि शिवलिंग की पूजा करते समय मुंह दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
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