Kamika Ekadashi 2022: सिर्फ एक क्लिक से जानिए कामिका एकादशी की व्रत-पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और आरती

श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये एकादशी 24 जुलाई, रविवार को है। कामिका एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योगों में कामिका एकादशी का व्रत करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।


 

उज्जैन. महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने नारदजी को कामिका एकादशी का महत्व बताते हुए कहा था कि जो मनुष्य कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करता है, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। पूरे साल जो कोई व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा न कर सके वो यदि कामिका एकादशी का व्रत करे तो उसे बछड़े सहित गौदान करने जितना पुण्य मिल जाता है। आगे जानिए कामिका एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

कामिका एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2022 Shubh Yog)
24 जुलाई, रविवार को वृद्धि योग दोपहर 02.02 मिनट तक रहेगा। उसके बाद ध्रुव योग आरंभ हो जाएगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र के योग से धाता और मृगशिरा नक्षत्र के योग से सौम्य नाम के 2 अन्य शुभ योग भी रहेंगे। एक ही दिन में 4 शुभ योग होने से इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है। कामिका एकादशी का पारण 25 जुलाई, सोमवार की सुबह 05:38 से 08:22 के बीच करना शुभ रहेगा।

इस विधि से करें व्रत विधि (Kamika Ekadashi 2022 Puja Vidhi)
कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद एक साफ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद दीपक और धूप बत्ती जलाएं। गंगाजल या साफ जल से प्रतिमा का अभिषेक करें। पंचामृत से अभिषेक कर पुन: साफ पानी से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान को अबीर, गुलाल, इत्र, चावल, जौ तथा फूल अर्पित करें। मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं, उसमें तुलसी दल अवश्य रखें। अंत में आरती उतारें।

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भगवान विष्णु की आरती (Bhagwan vishnu ki aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥ 

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