7 से 14 अक्टूबर तक मनाए जाएंगे शारदीय नवरात्र, वैधृति योग में होगी कलश स्थापना

इस बार शक्ति उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) 7 अक्टूबर, गुरुवार को शुरू होगा। आश्विन महीने के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक देवी के नौ रूपों की उपासना की जाएगी, लेकिन इस बार षष्ठी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि 8 दिन की ही रहेगी।

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2021 1:50 PM IST / Updated: Sep 28 2021, 11:40 AM IST

उज्जैन. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना के साथ ही देवी के नवरात्र पूजन और अनुष्ठान शुरू होंगे। माना जाता है कि कलश स्थापना से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और घर को खुशियों, धन-धान्य व सुख-समृद्धि से भर देती हैं।

अभिजित मुहूर्त में घट स्थापना
शास्त्रों के अनुसार कलश सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक होता है। प्रतिपदा पर रात 9:12 तक चित्रा नक्षत्र और रात 1:38 बजे तक वैधृति योग रहेगा। इन दोनों के शुरुआती दो चरणों के अलावा घट स्थापना की जा सकती है। चित्रा नक्षत्र के दो चरण सुबह 10:16 और वैधृति योग के दोपहर 3:17 पर समाप्त हो रहे हैं। इसके चलते घट स्थापना के लिए अभिजीत मूहूर्त सुबह 11:59 से 12:46 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा। महाष्टमी 13 अक्टूबर और महानवमी 14 अक्टूबर को है, जबकि 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

षष्ठी तिथि का क्षय
पंचमी तिथि 10 अक्टूबर को रात तकरीबन 8.30 से शुरू होगी और 11 अक्टूबर को सुबह 6.05 तक रहेगी। इसके बाद षष्ठी तिथि शुरू हो जाएगी जो कि रात 3.40 तक ही रहेगी। इसके बाद सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी जो कि 12 को पूरे दिन रहेगी। इसलिए 11 अक्टूबर को देवी स्कंदमाता और देवी कात्यायनी की पूजा की जाएगी।

साल में होते हैं 4 नवरात्र
देवी पुराण के अनुसार नौ शक्तियों के मिलन को नवरात्रि कहा जाता है, जो हर साल चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ में आती है। वसंत ऋतु में इसे चैत्र या वासंती नवरात्रि कहा जाता है, जबकि शरद ऋतु व आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि शारदीय (Sharadiya Navratri 2021) कही जाती है। शेष दो यानि गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ में आते हैं। इनमें मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है।
 


 

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