भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) कहलाता है। इस समय हिंदू धर्मावलंबी अपने मृतक पूर्वजों (पितरों) के निमित्त पिंडदान, तर्पण, दान आदि कर्म करके उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।
उज्जैन. इस वर्ष 20 सितंबर, सोमवार को पूर्णिमा के श्राद्ध से पितृ पक्ष प्रारंभ होगा, जो 6 अक्टूबर, बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या पर पूर्ण होगा। इस वर्ष श्राद्धपक्ष 17 दिनों का रहेगा। पंचमी का श्राद्ध दो दिन 25-26 सितंबर को किया जाएगा।
20 सितंबर से शुरू होगा श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021)
श्राद्ध पक्ष के प्रत्येक दिन अलग-अलग तिथियों में श्राद्ध किया जाता है। स्वजनों की जो मृत्यु तिथि होती है, श्राद्ध पक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। जिन स्वजनों की मृत्यु तिथि पूर्णिमा होती है, उनका श्राद्ध भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इसी प्रकार तिथिवार श्राद्ध किया जाता है। जिन लोगों को अपने मृत पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है, वे सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करते हैं।
किस दिन- कौन सा श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) होगा
- 20 सितंबर, सोमवार को पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा
- 21 सितंबर, मंगलवार को प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा
- 22 सितंबर, बुधवार को द्वितीया का श्राद्ध किया जाएगा
- 23 सितंबर, गुरुवार को तृतीया का श्राद्ध किया जाएगा
- 24 सितंबर, शुक्रवार को चतुर्थी का श्राद्ध किया जाएगा
- 25-26 सितंबर (शनि और रविवार) को पंचमी का श्राद्ध किया जाएगा
- 27 सितंबर, सोमवार को षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 28 सितंबर, मंगलवार को सप्तमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 29 सितंबर, बुधवार को अष्टमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 30 सितंबर, गुरुवार को नवमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 1 अक्टूबर, शुक्रवार को दशमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 2 अक्टूबर, शनिवार को एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 3 अक्टूबर, रविवार को द्वादशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 4 अक्टूबर, सोमवार को त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 5 अक्टूबर, मंगलवार को चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा
- 6 अक्टूबर, बुधवार को अमावस्या तिथा का श्राद्ध किया जाएगा।
दुर्घटना में मृत का श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) चतुर्दशी को करें
श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शस्त्र से, दुर्घटना में, अकाल मृत्यु से मृतकों का श्राद्ध करना चाहिए भले ही उनकी मृत्युतिथि कोई और हो। सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी मृतकों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी ना हो। इस दिन अपने जाने-अनजाने सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।