Shukra Pradosh 2022: 7 अक्टूबर को शुक्र प्रदोष का संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Shukra Pradosh 2022: प्रदोष व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस बार ये व्रत 7 अक्टूबर, शुक्रवार को है। शुक्रवार को होने से ये शुक्र प्रदोष कहलाएगा। ये व्रत करने से व्यक्ति की हर कामना पूरी हो सकती है।
 

उज्जैन. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महीने में कई व्रत किए जाते हैं। प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh 2022) भी इनमें से एक है। ये व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस बार 7 अक्टूबर, शुक्रवार को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन शुक्र प्रदोष का व्रत किया जाएगा। प्रदोष व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है और हर मनोकामना पूरी होती है। 

शुक्र प्रदोष के शुभ मुहूर्त (Shukra Pradosh 2022 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल त्रयोदशी तिथि 07 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह 07:27 से 08 अक्टूबर, शनिवार की सुबह 05:25 तक रहेगा। शतभिषा नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। वृद्धि नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा। शुक्र प्रदोष पर इन 2 शुभ योगों के होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस व्रत का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा-शाम 06:00 से रात 08:28 तक।

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इस विधि से करें व्रत-पूजा (Shukra Pradosh Puja Vidhi)
- 7 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर कुछ खाए नहीं। संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं। इस दिन संयम पूर्वक रहें, बुरे विचार मन में न लाएं।
- शाम को प्रदोष काल में किसी मंदिर या घर पर ही शिवजी की पूजा करें। पहले शिवजी का अभिषेक शुद्ध जल से करें, फिर पंचामृत से और फिर दोबारा शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं। 
- अबीर, गुलाल आदि चीजें चढ़ाएं। (कुंकुम और हल्दी शिवजी की पूजा में न चढ़ाएं)। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, फूल, फल आदि चीजें चढ़ाएं। भोग लगाकर शिवजी की आरती करें। इससे आपको शुभ फल मिलेंगे।

ये है शुक्र प्रदोष का महत्व
शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि होने से शुक्र प्रदोष का योग बनता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस संयोग में भगवान शिव की पूजा-व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। नौकरी और बिजनेस में भी सफलता मिलती है। घर में सुख-समृद्धि आती है और सौभाग्य न दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है।


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