जिस व्यक्ति की कुंडली में होते हैं इन 5 में से कोई भी 1 योग, वो होता है किस्मत का धनी

जन्म कुंडली में कुछ ऐसे योग बनते हैं जो साधारण व्यक्ति को भी असाधारण बना देते हैं। पंच महापुरुष भी एक ऐसा ही योग है, जिसमें व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख मिलते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2020 3:25 AM IST

उज्जैन. यह योग अपनी राशि में पांच ग्रहों के स्थित होने एवं उच्च होकर केन्द्र में स्थित हाने पर बनता है। पांच ग्रहों मंगल, गुरु, शुक्र, बुध व शनि में से किसी एक ग्रह अथवा एकाधिक ग्रहों की किसी विशिष्ट स्थिति में होने पर यह योग बनता है।

1. रुचक योग

जब कुंडली में मंगल उच्च स्थान में, स्वग्रही, मूल त्रिकोण में बैठकर केंद्र स्थान में हो तो मंगल ग्रह की यह स्थिति रुचक योग कहलाती है। इस योग में जन्में व्यक्ति का शरीर मजबूत होता है एवं इनमें विशेष कान्ति होती है। ये लोग धनी, शस्त्र व शास्त्र के ज्ञानी होते हैं। इन्हें राजा से सम्मान मिलता है। यह शत्रुजित, कोमल मन वाले, त्यागी, धनी सुखी, सेनापति और वाहन प्रेमी होते हैं। इस योग से प्रभावित व्यक्ति पुलिस, राजनीति, सेना, शारिरिक शक्ति युक्त कार्य में अग्रणी, मशीन विभाग तथा उर्जा से जुड़े क्षेत्र में काम करते हैं।

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2. भद्र योग

यह योग तब बनता है जब बुध ग्रह केंद्र में स्वराशी में हो अर्थात मिथुन अथवा कन्या में हो। इस योग से प्रभावित जातकों के हाथ ज्यादा लम्बे होते हैं एवं वह विद्वान् होने के साथ-साथ बातों की कला में निपुण होते हैं। बातों में उनके सामने कोई भी नहीं ठहर सकता। इनके चेहरे पर शेर जैसा तेज और गति हाथी की तरह होती है। ये लोग श्रेष्ठ प्रसाशक, निपुण, विपुल सम्पदा, प्रज्ञावान, धनी, सम्माननीय और दयावान होते हैं। ऐसे लोग आंकडों से सम्बधित कार्य, बैंक, चार्टेड अकाउंट, क्‍लर्क, अध्ययन कार्यों से सम्बंधित तथा विदेश सम्बंधी कार्य करते हैं।

3. हंस योग

यह योग वयक्ति की कुंडली में तब बनता है जब गुरु ग्रह धनु, मीन और कर्क राशि में से किसी एक राशि में होकर केंद्र में बैठा हो। इस योग से प्रभावित व्यक्ति सुन्दर, सुमधुर वाणी के प्रयोग वाला, नदी या समुद्र के आसपास रहने वाला होता है। ऐसे लोग राजा के समान जीवन जीते हैं। इनको कफ़ की परेशानी रहती है एवं इनकी पत्नी कोमलांगी होती है। ये लोग सुंदर, सुखी, शास्त्रों के ज्ञाता, निपुण, गुणी और सदाचारी एवं धार्मिक प्रवृति के होते हैं।

4. मालव्य योग

पंच महापुरुष का मालव्य योग तब बनता है जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह वृषभ, तुला या मीन राशि का होकर केंद्र में स्थित हो। इस योग से प्रभावित व्यक्ति के चेहरे पर चन्द्र के समान काँति होती है। ये युद्ध और राजनीति में निपुणता प्राप्त करते हैं। यह व्यक्ति स्त्री, पुत्र, वाहन, भवन और अतुल संपदा का स्वामी होता है। इनका स्वभाव तेजस्वी, विद्वान, उत्साही, त्यागी, चतुर होता है। ये लोग फैशन, कलाकार, सौंदर्य प्रसाधन, कवि, नाटक कार, गुरु या सामाजिक कार्यों से संबंधित क्षेत्र में नाम व धन कमाते हैं।

5. शश योग

इस योग से प्रभावित व्यक्ति का जीवन किसी राजा से कम नहीं होता। यह योग शनि के मकर, कुम्भ या तुला राशि का होकर केंद्र में उपस्थित होने पर बनता है। शश योग में जातक सेनापति, धातु कर्मी, विनोदी, क्रूर बुद्धि, जंगल–पर्वत में घूमने वाला होता है। उसकी आँखों में क्रोध की ज्वाला चमकती है। ये लोग तेजस्वी, भ्रातृ प्रेमी, सुखी, शूरवीर, श्यामवर्ण, तेज दिमाग और स्त्री के प्रति अनुरत रहते हैं। ये लोग वैज्ञानिक, निर्माणकर्ता, भूमि सम्बंधित कार्यो में संलग्न, जासूस, वकील तथा विशाल भूमि खंड के स्वामी होते हैं।

यदि पंच महापुरुष योग का निर्माण कर रहे ग्रह पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो उसके द्वारा फल में कमी के साथ-साथ उसके चरित्र में भी निम्नता आ सकती है।

 

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