जन्म कुंडली के ये दोष बन सकते हैं अकाल मृत्यु का कारण, बचने के लिए ये उपाय करें

मृत्यु एक अटल सत्य है। कोई इसे बदल नहीं सकता। कब, किस कारण, किसकी मौत होगी, यह कोई भी नहीं कह सकता। कुछ लोगों की मृत्यु कम उम्र में ही हो जाती है, ऐसी मृत्यु को अकाल मृत्यु कहते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 31, 2019 4:04 AM IST

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट के अनुसार, जन्म कुंडली में जब कुछ अशुभ योग बनते हैं तो व्यक्ति की अकाल मृत्यु होने के योग बनते हैं। ये अशुभ योग किन ग्रहों के कारण बनते हैं, इसकी जानकारी इस प्रकार है-

1. जिसकी कुंडली के लग्न में मंगल हो और उस पर सूर्य या शनि की अथवा दोनों की दृष्टि हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने की आशंका रहती है।
2. राहु-मंगल की युति अथवा दोनों का समसप्तक होकर एक-दूसरे को देखना भी  दुर्घटना में मृत्यु होने का कारण हो सकता है।
3. छठे भाव का स्वामी पापग्रह से युक्त होकर छठे या आठवे भाव में हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने का भय रहता है।
4. ज्योतिष शास्त्र के अऩुसार, लग्न भाव, दूसरे भाव तथा बारहवें भाव में अशुभ ग्रह की स्थिति हत्या का कारण हो सकती है।
5. दसवे भाव की नवांश राशि का स्वामी राहु अथवा केतु के साथ स्थित हो तो व्यक्ति की मृत्यु अस्वभाविक होती है।
6. लग्नेश तथा मंगल की युति छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति की मृत्यु शस्त्र से वार से हो सकती है।
7. मंगल दूसरे, सातवे या आठवे भाव में हो और उस पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति की मृत्यु आग से हो सकती है।

ये उपाय करें
1.
किसी योग्य ज्योतिषी से पूछकर अशुभ योगों के निवारण के लिए मंत्र जाप, पूजा, यज्ञ आदि का उपाय करें।
2. रोज सुबह उठकर अष्ट चिरंजिवीयों का ध्यान करें।
3. अगर आप स्वयं ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए मंत्र जाप नहीं कर सकते तो किसी योग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।
 

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