वसंत पंचमी पर विशेष रूप से क्यों किया जाता है देवी सरस्वती का पूजन, जानिए महत्व व शुभ मुहूर्त

Published : Feb 01, 2022, 02:03 PM ISTUpdated : Feb 05, 2022, 09:15 AM IST
वसंत पंचमी पर विशेष रूप से क्यों किया जाता है देवी सरस्वती का पूजन, जानिए महत्व व शुभ मुहूर्त

सार

वसंत पंचमी (Vasant Panchami 2022) हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये उत्सव माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े विद्यार्थियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है।  

मान्यता है कि वसंत पंचमी (Vasant Panchami 2022) के दिन ही माता सरस्वती का अवतरण हुआ था। और भी कई मान्यताएं और परंपराएं इस पर्व से जुड़ी हुई हैं। ये उत्सव गुप्त नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है, इसलिए भी इसका विशेष महत्व है। आगे जानिए वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की ही पूजा क्यों जाती है और इस पर्व का महत्व…

तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि आरंभ: 05 फरवरी, शनिवार, प्रातः 03:48 बजे से 
पंचमी तिथि समाप्त: 06 फरवरी, रविवार प्रातः 03:46 बजे पर 
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त: 05 फरवरी प्रातः 07:19 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक सरस्वती पूजा मुहूर्त की कुल अवधि: 05 घंटे और 28 मिनट 

इसलिए होती है वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की। हालांकि अपनी रचना से ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थे। उदासी से सारा वातावरण शांत सा हो गया था। यह देखकर ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। उनके तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वरद मुद्रा में था। जैसे ही उस देवी ने वीणा की मधुर तान छेड़ी सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को आवाज मिल गई। इसलिए इन्हें देवी सरस्वती के रूप में नामित किया गया। चूंकि इस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। इसलिए वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी।

वसंत पंचमी का महत्व
संगीत, विद्या व अन्य ललित कलाएं न हो तो हमारा जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। ये सभी चीजें देवी सरस्वती की ही देन हैं। इनके अभाव में हमारा जीना निरर्थक है। वसंत पंचमी ही वो दिन है जब देवी सरस्वती प्रकट हुईं और संसार में संगीत और शब्दों का स्वर गूंजा। यही कारण है कि वसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती की पूजा के लिए नियत किया गया।


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