विनायकी चतुर्थी आज: श्रीगणेश की पूजा करने से मैरिड लाइफ में बनी रहती हैं खुशियां, ये हैं शुभ मुहूर्त और कथा

आज (4 फरवरी, शुक्रवार) माघ मास की चतुर्थी तिथि है। इस दिन विनायकी चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi 2022) का व्रत किया जाता है। इस व्रत में महिलाएं दिन भर कुछ भी नहीं खाती और शाम को पहले भगवान श्रीगणेश और बाद में चंद्रमा की पूजा कर व्रत खोलती है यानी भोजन करती हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 4, 2022 4:58 AM IST

उज्जैन. देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे वरद, विनायक या तिलकुंद चतुर्थी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि विनायकी चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi 2022) का व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और परेशानियां दूर होती है। आगे जानिए इस व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा व अन्य खास बातें...
 

चतुर्थी के पूजा मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का आरंभ:  04 फरवरी, शुक्रवार, प्रात: 04: 38 मिनट से 
चतुर्थी तिथि का समाप्त: 05 फरवरी, शनिवार, प्रात: 03: 47 मिनट तक
शुभ मुहूर्त: 04 फरवरी, शुक्रवार, प्रातः11: 30 मिनट से दोपहर 01: 41 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटा 11 मिनट

ये है पूजा विधि
- विनायकी चतुर्थी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
- इस दिन सबसे पहले पूजा स्थल की अच्छाई तरह से सफाई कर लें। इसके बाद लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- उनके सामने घी का दीप प्रजवलित करें और सिंदूर से तिलक करें। इसके बाद गणेश जी को फल-फूल और तिल के पकवानों का भोग लगाएं।
- पूजा में गणेश जी को 21 दूर्वा गांठे विभिन्न नामों से उच्चारित करके अर्पित करें।
- विनायकी चतुर्थी का व्रत शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देते हुए पूरा करें। इस दिन सामर्थ्य अनुसार दान करने का विशेष महत्व होता है।
- मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से गणेशजी की पूजा करने से आपके सभी संकट दूर हो जाते है, इसलिए इसे विनायकी चतुर्थी कहा जाता है।

विनायक चतुर्थी व्रत पर करें ये 3 काम 
1.
गणेश पूजन के बाद भोग लगाए प्रसाद में से कुछ गरीबों या ब्राह्मणों में बांट दें। यदि आप इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं और कुछ दान करते हैं तो भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
2. चतुर्थी व्रत में दिन भर उपवास रखें और शाम को भोजन ग्रहण करने से पूर्व गणेश चतुर्थी व्रत कथा, गणेश चालीसा आदि का पाठ जरूर करें।
3. शाम को संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ और श्री गणेश की आरती करें। ॐ गणेशाय नम: मंत्र के जाप से अपने व्रत को पूर्ण करें।

विनायकी चतुर्थी की पौराणिक कथा 
एक बार माता पार्वती ने शिवजी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा जताई। शिवजी ने चौपड़ खेलना शुरू किया लेकिन इस खेल में मुश्किल थी कि हार-जीत का फैसला कौन करेगा। इसके लिए घास-फूस से एक बालक बना कर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी और कहा कि तुम हार-जीत का फैसला करना। 
इसके बाद तीन बार माता पार्वती जीतीं। लेकिन उस बालक ने कहा कि महादेव जीते। इस पर माता पार्वती को बहुत गुस्सा आया और उस बालक को कीचड़ में रहने का श्राप दिया।
बालक के माफी मांगने पर माता पार्वती ने कहा कि एक साल बाद नागकन्याएं यहां आएंगी। उनके कहे अनुसार विनायकी चतुर्थी का व्रत करने से तुम्हारे कष्ट दूर होंगे। इसके बाद उस बालक ने गणेश जी की उपासना की और भगवान गणेश प्रसन्न हो गए। गणेशजी ने उसे अपने माता-पिता यानी भगवान शिव-पार्वती को देखने के लिए कैलाश जाने का वरदान दिया।
बालक कैलाश पहुंच गया। वहीं माता पार्वती को मनाने के लिए शिवजी ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और पार्वतीजी मान गईं। इसके बाद माता पार्वती ने भी अपने पुत्र से मिलने के लिए 21 दिन तक व्रत किया और उनकी यह इच्छा पूरी हो गयी। माना जाता है वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं।
 

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