गुरु के अशुभ फल से बचने के लिए गुरुवार को करें भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा

भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को विशेष पूजा करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गुरुवार का कारक ग्रह गुरु है। ये ग्रह भाग्य का कारक है और जिन लोगों की कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है।

उज्जैन. ये ग्रह भाग्य का कारक है और जिन लोगों की कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी की भी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। जानिए लक्ष्मी-विष्णु की कृपा पाने के लिए और गुरु ग्रह के दोष दूर करने के लिए विष्णुजी की पूजा किस प्रकार कर सकते हैं...

भगवान विष्णु के मंत्र का करें जाप
ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

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1. गुरुवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें।
2. इसके बाद घर के मंदिर में गणेशजी का पूजन करें। गणेशजी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, फूल, चावल चढ़ाएं।
3. गणेशजी के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु का आवाहन करें। आवाहन यानी आमंत्रित करना।
4. अब भगवान विष्णु का शुद्ध जल से अभिषेक करें यानी स्नान कराएं।
5. स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और पुन: जल से स्नान कराएं।
6. भगवान को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण और फिर यज्ञोपवित (जनेऊ) पहनाएं। पुष्पमाला पहनाएं।
7. सुगंधित इत्र अर्पित करें। तिलक करें। तिलक के लिए अष्टगंध का प्रयोग करें।
8. धूप और दीप जलाएं। भगवान विष्णु को तुलसी दल विशेष प्रिय है। तुलसी दल अर्पित करें।
9. श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक जलाएं। नेवैद्य अर्पित करें। आरती करें।
10. आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। पूजा में विष्णुजी के मंत्र का जाप 108 बार करें।
 

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