विजयादशमी पर इस विधि से करें भगवान श्रीराम की पूजा, ये हैं शुभ मुहूर्त

धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन मास की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का अंत किया था। बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में ये पर्व पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 25 अक्टूबर, रविवार को है (कुछ स्थानों पर 26 अक्टूबर को भी दशहरा मनाया जाएगा)।

Asianet News Hindi | Published : Oct 25, 2020 3:30 AM IST / Updated: Oct 25 2020, 09:02 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन मास की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का अंत किया था। बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में ये पर्व पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 25 अक्टूबर, रविवार को है (कुछ स्थानों पर 26 अक्टूबर को भी दशहरा मनाया जाएगा)। इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा इस विधि से करें-

इस विधि से करें भगवान श्रीराम की पूजा
- दशहरे की सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के उत्तर भाग में एक सुंदर मंडप बनाएं। उसके बीच में एक वेदी बनाएं। उसके ऊपर भगवान श्रीराम व माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।

- श्रीराम व माता सीता की पंचोपचार (गंध, चावल, फूल, धूप, दीप) से पूजन करें। इसके बाद इस मंत्र बोलें-
मंगलार्थ महीपाल नीराजनमिदं हरे।
संगृहाण जगन्नाथ रामचंद्र नमोस्तु ते।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।

- इसके बाद किसी पात्र (बर्तन) में कपूर तथा घी की बत्ती (एक या पांच अथवा ग्यारह) जलाकर भगवान श्रीसीताराम की आरती करें-
आरती कीजै श्रीरघुबर की, सत चित आनंद शिव सुंदर की।।
दशरथ-तनय कौसिला-नंदन, सुर-मुनि-रक्षक दैत्य निकंदन,
अनुगत-भक्त भक्त-उर-चंदन, मर्यादा-पुरुषोत्तम वरकी।।
निर्गुन सगुन, अरूप, रूपनिधि, सकल लोक-वंदित विभिन्न विधि,
हरण शोक-भय, दायक सब सिधि, मायारहित दिव्य नर-वरकी।।
जानकिपति सुराधिपति जगपति, अखिल लोक पालक त्रिलोक-गति,
विश्ववंद्य अनवद्य अमित-मति, एकमात्र गति सचारचर की।।
शरणागत-वत्सलव्रतधारी, भक्त कल्पतरु-वर असुरारी,
नाम लेत जग पवनकारी, वानर-सखा दीन-दुख-हरकी।।

आरती के बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
नमो देवाधिदेवाय रघुनाथाय शार्गिणे।
चिन्मयानन्तरूपाय सीताया: पतये नम:।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय पुष्पांजलि समर्पयामि।

इसके बाद फूल भगवान को चढ़ा दें और यह श्लोक बोलते हुए प्रदक्षिणा करें-
यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यादिकानि च।
तानि तानि प्रणशयन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

इसके बाद भगवान श्रीराम को प्रणाम करें और कल्याण की प्रार्थना करें। इस प्रकार भगवान श्रीराम का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

ये हैं शुभ मुहूर्त
सुबह 7.30 से 9 बजे तक- चर
सुबह 9.00 से 10.30 तक- लाभ
सुबह 10.30 से दोपहर 12 बजे तक- अमृत
दोपहर 1.30 से 3.00 तक- शुभ

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