Yogini Ekadashi 2022: कब किया जाएगा योगिनी एकादशी व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त, कथा और महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। हर महीनें के दोनों पक्षों में एक-एक एकादशी तिथि आती है। इस तरह एक साल में 24 एकादशी होती है। इनमें से हर एकादशी का अलग-अलग महत्व है। 
 

Manish Meharele | Published : Jun 15, 2022 8:32 AM IST

उज्जैन. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2022)कहा जाता है। इस बार ये एकादशी 24 जून, शुक्रवार को है। इस व्रत के बारे में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन उपवास रखने से समस्त पापों का नाश होता है साथ ही घर-परिवार में स्वास्थ के साथ सुख-समृद्धि आती है। ऐसा भी कहा जाता है कि विधि विधान से योगिनी एकादशी व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन कराने के बराबर का फल मिलता है। आगे जानिए योगिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी कथा…

योगिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2022 Ke Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 जून, गुरुवार की रात लगभग 09.41 से शुरू होगी, जो 24 जून, शुक्रवार की रात लगभग 11.12 तक रहेगी। एकादशी तिथि का सूर्योदय 24 जून को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।

ये है योगिनी एकादशी की कथा (Yogini Ekadashi 2022 ki Katha)
- पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्ग की अलकापुरी में कुबेर नाम का राजा रहता था। वह परम शिव भक्त था। हेम नाम का माली रोज पूजा के लिए राजा के यहां फूल लाया करता था। एक दिन हेम अपनी पत्नी विशालाक्षी के साथ कामासक्त होने के कारण राजा को पूजा के फूल देना भूल गया। 
- राजा कुबेर ने फूलों के लिए उसका काफी इंतजार किया और अपने सेवकों को इसका कारण जानने के लिए भेजा। सेवकों ने पूरी बात आकर राजा को सच-सच बता दी। ये सुनकर राजा कुबेर क्रोधित हो गए और हेम माली को बुलाया।
- राजा कुबेर ने क्रोध में आकर हेम माली को श्राप दे दिया कि “तू मृत्यु लोक में जाकर स्त्री का वियोग सहेगा और कोढ़ी बनकर रहेगा।” श्राप के कारण तुरंत ही हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह पृथ्वी पर आ गिरा।
- पृथ्वी पर आते ही उसे कोढ़ हो गया और वह भिक्षुकों की तरह जीवन व्यतीत करने लगा। यहां उसे अपनी पत्नी विशालाक्षी की याद सताने लगी, लेकिन वो इस श्राप के प्रभाव से कुछ भी कर पाने में असमर्थ था।
- एक दिन हेम माली घूमते-घ़ूमते मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। ऐसी हालत में देखकर ऋषि को उस पर दया आ गई उसके बारे में पूरी बात जानकर उन्होंने हेम माली से योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा।
- हेम माली ने मुनि के कहे अनुसार, विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप में लौट आया और अलकापुरी में जाकर अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

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