थाली Vs मंगलसूत्र: करवा चौथ पर समझें इन दो शुभ प्रतीकों के बीच का अंतर

Published : Oct 07, 2025, 07:44 PM IST
Thali and magalsutra difference

सार

Thali Vs Mangalsutra: अक्सर हम थाली और मंगलसूत्र को एक ही समझ बैठते हैं। लेकिन डिजाइन के साथ-साथ इनके संस्कृति महत्व भी अलग-अलग है। आइए इस करवा चौथ जानते हैं, इन दोनों के बीच का अंतर। 

थाली और मंगलसूत्र दोनों शादीशुदा महिलाओं की पहचान होती है। इसे सुहाग की निशानी माना जाता है। शादी के बाद महिलाएं इसे अपने गले में पहनती हैं। करवा चौथ पर तो खासकर महिलाएं अपने सुहाग की निशानी को गले में पहनना पसंद करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि थाली और मंगलसूत्र एक नहीं, बल्कि दोनों के बीच गहरा सांस्कृतिक और क्षेत्रीय अंतर है।

थाली (Thali) क्या है?

थाली दक्षिण भारत की परंपरा से जुड़ी हुई है। इसे मंगलसूत्र का दक्षिण भारतीय रूप कहा जा सकता है। थाली आमतौर पर पीले धागे (हल्दी से रंगे हुए) में बंधे एक सुनहरे लॉकेट के रूप में होती है। यह लॉकेट देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

थाली बांधने की रस्म - मांगल्य धारनम्

विवाह के दौरान एक विशेष रस्म होती है जिसे मांगल्य धारनम् कहा जाता है। इस रस्म में दूल्हा दुल्हन के गले में थाली बांधता है। दूल्हा पहले दो गांठें बांधता है, जो पति-पत्नी के आपसी संबंध और कमिटमेंट का प्रतीक है। तीसरी गांठ आमतौर पर दूल्हे की बहन या परिवार की अन्य महिला बांधती है, जो दोनों परिवारों के संबंधों का प्रतीक मानी जाती है।

थाली के प्रकार (क्षेत्र के अनुसार)

  • लक्ष्मी थाली: तेलुगु समुदाय (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना) में प्रचलित, जिसमें लक्ष्मी माता की आकृति होती है।
  • एलाथाली या मिन्नु: केरल की मलयाली महिलाएं पहनती हैं।
  • कुंभ थाली: तमिलनाडु के क्षत्रिय समाज में महिलाएं इसे पहनती हैं।

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मंगलसूत्र क्या है?

मंगलसूत्र उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत की परंपरा से जुड़ा हुआ है। मंगलसूत्र शब्द का अर्थ है-शुभ धागा। यह एक हार होता है, जिसमें काले मनकों (मोती) की माला पर सोने के लॉकेट या पेंडेंट लगाए जाते हैं। कभी-कभी इसमें सफेद, लाल या सुनहरे मोती भी जोड़े जाते हैं।

मंगलसूत्र का महत्व

मंगलसूत्र पति-पत्नी के बीच प्रेम, निष्ठा और सुरक्षा का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इसके काले मोती नजर या बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं।

मंगलसूत्र से जुड़ी क्षेत्रीय मान्यताएं

महाराष्ट्र में विवाह के समय दूल्हा दुल्हन के गले में मंगलसूत्र पहनाता है, जिसे शिव-शक्ति बंधन कहा जाता है। यह बंधन पति-पत्नी के बीच एनर्जी और समरसता का प्रतीक होता है।

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