
चांदी (Silver) न सिर्फ एक कीमती धातु है, बल्कि इसकी पहचान हजारों साल से शुद्धता, सुंदरता और उपयोगिता के लिए होती रही है। ज्यादातर लोग इसे गहनों या बर्तनों में ही देखते हैं, लेकिन असल में चांदी के बारे में कई इंट्रेस्टिंग फैक्ट ऐसे हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आइए जानते हैं चांदी से जुड़े 10 अनसुने फैक्ट, इसके प्रोडक्शन से लेकर दुनिया में कहां सबसे ज्यादा पाई जाती है।
चांदी मुख्य रूप से ज्वालामुखीय एक्टिविटी और भूगर्भीय प्रक्रियाओं के दौरान बनती है। यह अक्सर तांबा, सोना, सीसा और जिंक की खानों के साथ पाई जाती है। चांदी प्योर फॉर्म में भी मिल सकती है, लेकिन ज्यादातर यह अयस्क (Ore) के रूप में निकलती है।
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मिस्र, ग्रीस, रोम और सिंधु घाटी सभ्यता में चांदी को बेहद कीमती माना जाता था। प्राचीन मिस्र में तो चांदी का मूल्य सोने से भी ज्यादा था क्योंकि यह बेहद दुर्लभ थी।
अगर बात बिजली और गर्मी के कंडक्शन की हो, तो चांदी सबसे आगे है। यही कारण है कि हाई-क्वालिटी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, सोलर पैनल और वैज्ञानिक उपकरणों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
मैक्सिको दुनिया में सबसे ज्यादा चांदी का उत्पादन करता है। इसके बाद पेरू, चीन, रूस और पोलैंड का नाम आता है। भारत में राजस्थान, झारखंड और आंध्र प्रदेश में इसकी खदानें हैं।
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चांदी हवा में मौजूद सल्फर और नमी के संपर्क में आने पर ऑक्सीडाइज होकर काली पड़ जाती है। इसे टार्निश कहा जाता है, जिसे साफ करके फिर से चमकदार बनाया जा सकता है।
आयुर्वेद में चांदी को ठंडी तासीर वाला माना जाता है। चांदी के बर्तन में पानी या दूध पीने से शरीर में ठंडक और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
अंतरिक्ष में NASA जैसे स्पेस एजेंसियां स्पेसशिप और अंतरिक्ष यान में चांदी-लेपित मटीरियल का इस्तेमाल करती हैं ताकि तापमान नियंत्रित रहे और रेडिएशन से बचाव हो सके।
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चांदी के सिक्के सबसे पहले 600 ईसा पूर्व लिडिया (अब तुर्की का हिस्सा) में बनाए गए थे। इसके बाद यह प्राचीन सभ्यताओं में मुद्रा के रूप में प्रचलित हुई।
चांदी में प्राकृतिक रूप से बैक्टीरिया को मारने की क्षमता होती है। इसी वजह से पुराने समय में घावों पर चांदी की परत या चांदी के बर्तन में रखा पानी इस्तेमाल किया जाता था।
आज चांदी का इस्तेमाल सिर्फ आभूषणों और बर्तनों में ही नहीं, बल्कि मोबाइल, लैपटॉप, मेडिकल उपकरण, सोलर पैनल और मिरर बनाने में भी किया जा रहा है।