इन 4 गांव में करवा चौथ का व्रत रखते ही सुहागिनें हो जाती हैं विधवा! लोग मानते हैं इसे 'शापित त्योहार'

करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती हैं। चांद को देखने के बाद पति के हाथों अपने व्रत को खोलती हैं। लेकिन मथुरा और हरियाणा में ऐसे गांव हैं  जहां करवा चौथ नहीं मनाया जाता है। यहां इस व्रत का नाम सुनते ही महिलाएं डर जाती हैं।आइए बताते हैं इन गांवों के बारे में और क्यों महिलाएं नहीं करती पति की लंबी आयु वाले इस व्रत को।

Nitu Kumari | Published : Oct 11, 2022 2:09 PM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. दिवाली के 9 दिन पहले करवा चौथ (Karwa Chauth 2022) का पर्व आता है। यह पर्व सुहागन महिलाओं के लिए होता है। मॉर्डन युग में लड़कियां अपने प्रेमी के लिए भी इस व्रत को करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के करने से पति की आयु लंबी होती है और जीवन में खुशहाली आती है। लेकिन मथुरा में एक गांव है जहां करवा चौथ का नाम सुनते ही महिलाएं डर जाती हैं। इस गांव का नाम है सुरीर कला गांव। यहां की महिलाएं ना तो इस व्रत को करती हैं और ना ही सोलह श्रृंगार करती हैं। दरअसल, इसके पीछे सती का श्राप वजह माना जाता है।

सती का श्राप है इस गांव पर

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यहां आने वाली नई नवेली दुल्हन भी करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं। उनके परिवारवाले इस व्रत को करने से मना करते हैं। हर पत्नी की इच्छा होती है कि वो सोलह श्रृंगार करके करवा चौथ का व्रत रखे। लेकिन यहां की महिलाओं की यह इच्छा अधूरी ही रह जाती है। कई दशकों से यहां करवा चौथ का त्योहार नहीं मनाया जाता है। इस गांव की एक महिला बताती हैं कि उनकी शादी को 80 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन आज तक करवा चौथ का व्रत नहीं रखा है। इसके पीछे सती का श्राप बताती हैं। 

इस गांव में महिलाएं नहीं करती श्रृंगार

ग्रामीणों की मानें तो इस गांव में एक महिला के पति का झगड़ा हो गया था। जिसमें उसके पति की मौत हो गई थी। जिसके बाद वो भी अपने पति के साथ सती हो गई थी। उसने श्राप दिया था कि जिस तरह वो विधवा हो गई थी वैसे ही अगर कोई यहां श्रृंगार करेगा या फिर करवा चौथ का व्रत करेगा तो वो विधवा हो जाएगी। इस भय की वजह से महिलाएं ना तो यहां 16 श्रृंगार करती हैं और ना ही इस व्रत को रखती हैं। इस गांव में सती माता का मंदिर भी है।

हरियाणा के तीन गांव में नहीं मनाया जाता करवा चौथ

वहीं हरियाणा में भी तीन ऐसे गांव हैं जहां महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं।गोंदर, औंगद और कतलाहेड़ी ये तीन गांव हैं जहां की महिलाएं अपने पति के लिए इस व्रत को नहीं करती हैं। यहां के लोग बताते हैं कि600 साल पहले  सती के पति का झगड़ा गांव वालों से हो गई थी। जिसकी वजह से उसके पति की मौत हो गई।  जिसके बाद महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। उनका मंदिर इस गांव में बनाया गया है। तभी से यहां करवा चौथ नहीं मनाया जाता है। कहते हैं कि अगर महिलाएं इस व्रत को करती हैं तो उनका सुहाग उजड़ जाता है।

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