Rajasthan Travel: राजस्थान के इस मंदिर में क्यों 40 दिनों तक खेली जाती है होली, जानिए पुराना रिवाज

Published : Mar 09, 2025, 06:02 PM IST
holi in jodhpur

सार

40 days of Holi in Jodhpur: जोधपुर में होली का रंग 40 दिनों तक! गंगश्याम जी मंदिर में राधा-कृष्ण के साथ गुलाल और फूलों की अनोखी होली। 1818 से चली आ रही परंपरा!

Holi in Jodhpur, Rajasthan: जोधपुर राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी है। जोधपुर के भीतरी शहर में स्थित प्राचीन गंगश्याम जी मंदिर में वृंदावन की तर्ज पर होली खेलने की परंपरा आज भी कायम है। यहां होली सिर्फ एक दिन की नहीं होती, बल्कि फाल्गुन माह के प्रारंभ से लेकर रंग पंचमी तक कृष्ण के रंग में रंगे भक्त कुल 40 दिनों तक भगवान कृष्ण के समक्ष होली गीतों के साथ अबीर-गुलाल और फूलों से होली खेलते हैं। आपसी एकता, प्रेम, स्नेह और राधा कृष्ण की भक्ति को समर्पित होली के त्योहार के कारण होली से पहले कृष्ण मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के साथ गुलाब और फूलों से होली खेलने की परंपरा का निरंतर निर्वहन किया जा रहा है। होली का त्यौहार, रंगों का त्यौहार, खुशियों का त्योहार, मिठास का त्योहार और भगवान की भक्ति का त्यौहार...खासकर जोधपुर के भीतरी शहर के लोग राधा कृष्ण की होली में इस कदर डूब जाते हैं मानो वे हर रोज ऐसी होली के रंगों में डूबने को आतुर हों।

गुलाल और फूलों की होली (Holi of Gulal and Flowers)

जोधपुर के घनश्याम जी मंदिर से लेकर रातानाडा के कृष्ण मंदिर तक जिस तरह से महिलाओं और बुजुर्गों की भीड़ उमड़ रही है, वह देखने लायक है और राधा कृष्ण के साथ खेली जा रही गुलाल और फूलों की होली में उनकी खुशी साफ झलक रही है। महिलाएं भी बड़े उत्साह के साथ भगवान श्री कृष्ण के साथ गुलाल और फूलों से होली खेल रही हैं।

होली का त्योहार 40 दिनों तक चलता है (Festival of Holi lasts for 40 days)

हर साल बसंत पंचमी से रंग पंचमी तक दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक और शाम 8 बजे से 10 बजे तक गुलाल से होली खेली जाती है। फाल्गुन माह में यहां प्रतिदिन 200 से 300 किलो गुलाल की खपत होती है। गुलाल के साथ-साथ यहां फूलों से होली भी खेली जाती है। अंतिम दिन रंग पंचमी को यहां रंग दशे होली खेली जाएगी तथा शाम को पांड्या नृत्य का आयोजन किया जाएगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि घनश्याम जी का मंदिर एक ऐसा ऐतिहासिक स्थान है जहां होली का उत्सव 40 दिनों तक चलता है। जहां भगवान श्री कृष्ण के समक्ष प्रेम, भक्ति और अपनेपन की भावना के साथ होली मनाई जाती है।

1818 में शुरू हुई थी यह परंपरा (Tradition Started in 1818)

शहर के किले में स्थित 263 साल पुराना यह ऐतिहासिक गंगश्यामजी मंदिर अपने आप में अनूठी धार्मिक मान्यता रखता है। यह राजशाही शासन से पहले से चला आ रहा है। यह परंपरा आज भी जीवित है। हर साल फाल्गुन माह में यहां प्रतिदिन रंगों के उत्सव के रूप में होली खेली जाती है। कृष्ण भक्ति मंदिर से सैकड़ों लोग मंदिर के प्रांगण में आते हैं। वृंदावन की तर्ज पर मनाई जाने वाली इस होली को देखने और खेलने के लिए सिर्फ सनातनियां ही नहीं बल्कि विदेशी भी आते हैं। वर्ष 1818 में शुरू हुई यह परंपरा आज के समय में भी जारी है जहां पीढ़ी दर पीढ़ी वैष्णव संप्रदाय से जुड़े पुजारी आज भी मंदिर में पुजारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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