किचन में पूजा स्थल: जानें वास्तु के अनुसार सही या गलत, क्या बढ़ सकती है परेशानी।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, किचन में पूजा स्थान बनाना सही है या नहीं, यह जानने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। किचन में अग्नि तत्व की प्रधानता और शुद्धता बनाए रखने की चुनौती के कारण यह स्थान पूजा के लिए आदर्श नहीं माना जाता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, किचन को घर की महत्वपूर्ण जगहों में से एक माना जाता है क्योंकि यह स्थान अन्नपूर्णा देवी का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ भोजन बनता है जो जीवन का आधार है। लेकिन, कुछ लोग अपने घरों में जगह की कमी के कारण किचन में ही पूजा का स्थान बना लेते हैं।किचन के अंदर पूजा स्थान बनाना सही या गलत है, यह ज्यादातर वास्तु शास्त्र पर निर्भर करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में हर स्थान का एक विशेष महत्व होता है और इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है। आइए जानते हैं विस्तार से कि किचन में पूजा स्थान बनाने से जुड़े वास्तु नियम क्या कहते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से हमारे वास्तु एक्सपर्ट शिवम पाठक से।

किचन में पूजा स्थान बनाना: गलत क्यों?

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अग्नि तत्व की प्रधानता:

किचन में अग्नि तत्व का प्रभाव होता है क्योंकि वहां खाना पकाने के लिए गैस, चूल्हा और अन्य अग्नि संबंधी उपकरण होते हैं। अग्नि का संबंध ऊर्जा और तेजी से है, जबकि पूजा स्थान में शांति, सौम्यता और सकारात्मक ऊर्जा होनी चाहिए। अग्नि और पूजा स्थान की ऊर्जा एक-दूसरे से मेल नहीं खाती। जिससे हमारे जीवन पर इसका गलत असर पड़ता है।

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शुद्धता और पवित्रता: 

पूजा का स्थान हमेशा शुद्ध और पवित्र होना चाहिए। किचन में रोजाना खाने-पीने के काम होते हैं और इस कारण वहां सफाई रखना मुश्किल हो सकता है। किचन में गंदगी या तेल के धब्बों के कारण पूजा स्थान की शुद्धता पर असर पड़ सकता है।

दिशाओं का प्रभाव: 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा स्थान हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में होना चाहिए, जबकि किचन के लिए सबसे अनुकूल दिशा दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) मानी जाती है। यदि किचन में पूजा स्थान रखा जाता है, तो यह दिशाओं की वास्तु व्यवस्था को बिगाड़ सकता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा कर सकता है।

किचन में पूजा स्थान बनाना: सही कब?

जगह की कमी: 

यदि आपके घर में जगह की कमी है और पूजा के लिए कोई अलग स्थान उपलब्ध नहीं है, तो आप किचन के एक कोने में छोटा सा पूजा स्थान बना सकते हैं। हालांकि, इस स्थिति में भी वास्तु शास्त्र के कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है।

साफ-सफाई का ध्यान रखें: 

किचन में पूजा स्थान बनाने पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा स्थल को हर दिन साफ रखें और वहां तेल, धुआं या गंदगी न जमा होने दें।

पूजा स्थान की दिशा: 

कोशिश करें कि किचन के अंदर भी पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में हो, ताकि ईशान कोण की सकारात्मक ऊर्जा पूजा स्थल में बनी रहे।

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अलग स्थान हो: 

अगर किचन में पूजा स्थान बनाना ही है, तो इसे किचन के खाना बनाने वाले हिस्से से थोड़ा अलग और ऊंचाई पर रखें। इससे पूजा स्थान को एक अलग पहचान मिलेगी और भोजन पकाने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा पूजा स्थान पर असर नहीं डालेगी।

पूजा स्थान बनाने के कुछ वास्तु उपाय

उत्तर-पूर्व दिशा में हो पूजा स्थल: 

यह दिशा सबसे शुभ मानी जाती है और घर के समृद्धि और सुख-शांति में वृद्धि करती है।

पूजा स्थान का ऊंचाई पर होना: 

पूजा का स्थान जमीन से ऊंचा होना चाहिए ताकि वहां की ऊर्जा सीधे जमीन में न जाए।

प्राकृतिक रोशनी: 

पूजा स्थान पर प्राकृतिक रोशनी का प्रवाह हो। इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

किचन और पूजा स्थान के बीच दूरी: 

यदि किचन और पूजा स्थान एक ही कमरे में हैं, तो उनके बीच थोड़ा स्थान रखना अच्छा होता है।

किचन में पूजा स्थान के लिए शुद्धता: 

पूजा के समय किचन में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। पूजा करने से पहले किचन के काम खत्म कर लें और जगह को साफ कर दें।

 

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