Right To Sleep: अच्छी नींद आपका मौलिक अधिकार, कोई सोने से रोकता है तो दर्ज करा सकेंगे केस, जानें नियम

अच्छी नींद लेने का भी आपका फंडामेंटल अधिकार है। कोई आपको सोने से मना करता है तो आप उस पर केस भी दर्ज करा सकते हैं।

 

Manoj Kumar | Published : Aug 1, 2023 5:20 AM IST / Updated: Aug 01 2023, 11:00 AM IST

Right To Sleep. अच्छी नींद लेने का भी आपका फंडामेंटल अधिकार है। कोई आपको सोने से मना करता है तो आप उस पर केस भी दर्ज करा सकते हैं। रात को अच्छी नींद लेने से सेहत अच्छी रहती है और इसके कई सारे फायदे भी हैं। आपको यह भी जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में सोने का अधिकार हमारे फंडामेंटल राइट्स में शामिल है। आइए जानते हैं संविधान के अनुच्छेद 21 में हर नागिरक को बिना किसी परेशानी के शांति से सोने का अधिकार दिया गया है।

अच्छी नींद क्यों जरूरी है

अगर हम स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो अच्छी नींद जरूरी है। यह हमें ऊर्जावान बनाता है और दिन की अच्छी शुरुआत करने में मदद करता है। रात की अच्छी नींद हमारे जीवन की क्वालिटी को बेहतर करता ही है, दिमाग की गतिविधि भी बढ़ाता है। यह हमारी मनोदशा और हेल्थ में सुधार करता है। नींद की कमी हमारी रोजमर्रा की लाइफ प्रभावित हो सकती है। यही वजह है कि संविधान में इसे मौलिक अधिकार माना गया है।

अनुच्छेद 21 में है सोने का अधिकार

अनुच्छेद 21 के 'जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार' के तहत नींद के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। अनुच्छेद 21 के अनुसार, कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली में बाबा रामदेव की रैली में सो रही भीड़ पर पुलिस की कार्रवाई वाले मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि पुलिस की कार्रवाई से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ। मनुष्य के अस्तित्व के लिए और जरूरी हेल्थ बैलेंसे बनाए रखने के लिए नींद आवश्यक है। इसलिए नींद एक तरह से मौलिक और बुनियादी आवश्यकता है। इसके बिना जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने नींद को बुनियादी मानव अधिकार बताते हुए यह टिप्पणी की थी।

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