"कहा जाता है कि जब आप काशी जाते हैं, तो आपको अपनी पसंद की किसी चीज़ को त्यागना पड़ता है। मुझे शॉपिंग करना बहुत पसंद था। इसलिए मैंने गंगा जी से वादा किया कि मैं जीवन भर शॉपिंग नहीं करूंगी।" सुधा मूर्ति ने एक इंटरव्यू में कहा था।
"छह साल पहले जब मेरी माँ का देहांत हुआ, तो उनकी अलमारी में सिर्फ 8-10 साड़ियाँ थीं। 32 साल पहले जब मेरी दादी का देहांत हुआ था, तो उनके पास सिर्फ चार साड़ियाँ थीं। वे इस धरती पर बहुत हल्के ढंग से यात्रा की। उनकी परवरिश में पली-बढ़ी मैं कम चीजों के साथ एक साधारण जीवन जीना आसानी से सीख गई।" उन्होंने कहा।