Women's day 2024: इन 15 कोट्स के जरिए महिलाओं के प्रति जताएं सम्मान, चेहरे पर लाएं मुस्कान

8 मार्च को इंटरनेशनल विमेंस डे मनाया जाता है। महिलाओं को सम्मान देने के लिए इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। हम यहां 15 कोट्स बताएंगे जिसे कई लेखकों और कवियों ने महिलाओं को लेकर अपने विचार सामने रखे हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क. दुनिया की आधी आबादी आज भी समानता की लड़ाई लड़ रही हैं। हालांकि इस लड़ाई की वजह से कुछ तस्वीर बदली भी है। कई जगह महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। पुरुषों के सोच में भी उन्हें लेकर परिवर्तन आ रहे हैं। लोग अपनी बच्चियों को पढ़ाने लगे है। पुरुष अपनी पत्नी को काम पर जाने दे रहे हैं। लेकिन इसकी प्रतिशत अभी भी बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको कुछ ऐसे कोट्स यहां दिखाएंगे जो लेखकों और कवियों की ओर से लिखा गया है। इसमें कुछ ऐसे कोट्स भी है जो नारीत्व की शक्ति को अपनाया है और महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।

-हर बार एक महिला अपने लिए खड़ी होती है, संभवतः बिना जाने, बिना दावा किए, वह सभी महिलाओं के लिए खड़ी होती है- माया एंजेलो

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-प्रत्येक पुरुष के लिए स्त्री एक कविता है-भगवती चरण वर्मा

-पवित्र नारी सृष्टिकर्ता की सर्वोत्तम कृति होती है, वह सृष्टि के सम्पूर्ण सौन्दर्य को आत्मसात किये रहती है – रवीन्द्रनाथ ठाकुर

-अगर वे तुम्हें मेज पर सीट नहीं देते हैं, तो एक फोल्डिंग कुर्सी ले आओ- शर्ली चिशोल्म

-औरतें प्यार करने के लिए बनी हैं, समझने के लिए नहीं - ऑस्कर वाइल्ड

-नारी सदैव अजेय रही हैं – महादेवी वर्मा

-नारी की करूणा अंतर्जगत का उच्चतम विकास है जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं – जयशंकर प्रसाद

-प्रेम किस प्रकार किया जाता हैं, इसे केवल नारियां ही जानती हैं – मोपासा

-नारी को अबला कहना उसका अपमान करना हैं – महात्मा गांधी

-सहनशीलता से जीवन की विषम यात्रा को सरल और सुखद बनाना नारी का कार्य है – ग्रियर्सन

-यदि कहीं कठोर अत्याचार और दुर्व्यहार के बदले में भी स्नेह और प्रेम हो सकता है, तो वह स्त्रियों में हो सकता है – शरतचन्द्र

-जिस स्थान पर नारी सशक्त नहीं होती, उस स्थान को श्मशान बनने में अधिक समय नहीं लगता-मयंक विश्नोई

-मैं समझती हूं कि एक महिला को अपने लिए कुछ न कुछ चाहिए होता है-जिल बिडेन

-यदि तुम्हें स्वयं को मुक्त करना है तो तुम्हें स्वयं ही उत्पीड़न की जंजीरों को तोड़ना होगा। तभी हम अपनी गरिमा व्यक्त कर सकते हैं, केवल जब हम स्वयं को मुक्त कर लेंगे तभी हम अन्य समूहों के साथ सहयोग कर सकते हैं। अपमान, अपमान या अपमान की कोई भी स्वीकृति हीनता की स्वीकृति है-विनी मदिकिज़ेला-मंडेला

-मैं यह महसूस किए बिना कि मैं एक बुरी नारीवादी या एक अच्छी नारीवादी हूं, दुनिया में खुद को प्रस्तुत करने के तरीके का आनंद लेना चाहती हूं-एम्ली रजतकोवस्की

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