
Childhood Emotional Neglect Recovery: हर किसी को वो बचपन नहीं मिलता जिसकी कल्पना की जाती है, जहां गलतियों को सीखा जाता है ना कि सजा दी जाती है। कई बार माता-पिता अनजाने में या कभी-कभी जानबूझकर बच्चों पर इतना जोर डालते हैं कि वो अपना असली 'मैं' खो बैठते हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि अब आप बड़े हो चुके हैं और आप खुद को वो सब कुछ दे सकते हैं जो बचपन में नहीं मिला। यहां 3 तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने खराब हुए बचपन को अपने लिए फिर से पा सकते हैं।
बचपन में क्या छूटा?
अगर आपने कभी कोई गलती की और आपको डांटकर या शर्मिंदा करके सजा दी गई, तो आपने शायद खुद से गुस्सा करना सीख लिया। बहुत से लोग खुद पर चिल्लाते हैं, खुद से नाराज रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बचपन में ये नहीं सिखाया गया है कि गलतियों से कैसे सीखा जा स सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें सिखाया ही नहीं गया कि गलतियों से कैसे सीखा जाता है।
अब खुद को कैसे गलतियों से सिखना सिखाएं
जब आप गलती करें, तो खुद से कहें-मैं इंसान हूं, मुझसे भी गलतियां हो सकती हैं।
उस गलती को सोचें और समझें - क्या वो हालात की वजह से हुई, या आपसे कुछ चूक हुई? अगर हां, तो वो सीख आपके लिए है।
गलती को अनुभव बनाएं, ना कि शर्म का कारण।
बचपन में क्या छूटा?
अगर आपके माता-पिता ने कभी अनुशासन नहीं सिखाया। तो हो सकता है कि आपको खुद को कंट्रोल करना आज भी मुश्किल लगता हो।
अब खुद को क्या देना है
खुद को "कमज़ोर" या "नाकाम" कहना बंद करें। अनुशासन एक सीखने की चीज है, जो अब भी सीखी जा सकती है।
जब आप अपनी ही बनाई गई सीमाओं को तोड़ते हैं, तो खुद को ताना देने की बजाय करुणा के साथ पूछें – क्यों?
हर बार जब आप अनुशासन में चूकें, खुद को सजा नहीं, बल्कि समझ दें।
अनुशासन का मतलब खुद से लड़ना नहीं, बल्कि खुद से सहयोग करना है।
बचपन में क्या छूटा?
हर बच्चा सिर्फ इसलिए नहीं खिलता कि उसके माता-पिता उससे प्यार करते हैं, बल्कि इसलिए कि वो देखा और समझा जाता है। अगर आपके माता-पिता ने आपको केवल अपना बच्चा समझा, लेकिन "आप जैसा आप हैं" नहीं जाना, तो हो सकता है आप आज भी खुद को अनदेखा कर देते हों।
अब खुद को क्या देना है
खुद से सवाल करें: "मैं कौन हूं?", "मुझे क्या पसंद है?", "मुझे क्या परेशान करता है?"
अपनी अच्छाइयों की लिस्ट बनाएं – जैसे क्या आप भरोसेमंद हैं? संवेदनशील हैं? कड़ी मेहनत करते हैं?
उस लिस्ट को बार-बार पढ़ें, और उसे महसूस करें। यही असली आप हैं और आप काबिल हैं प्यार के, अपनापन के।
अपने असली 'मैं' से जुड़ना शुरू करें -यही बचपन की सबसे खूबसूरत वापसी होगी।