शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी महीने की पूर्णिमा और अमावस्या को पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए और एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और परिवार में समस्याएं आ सकती हैं।
पुराणों में कहा गया है कि किसी भी महीने की चतुर्थी और अष्टमी तिथि को पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन तिथियों पर संबंध बनाने से बच्चों और करियर पर बुरा असर पड़ता है।
पितृ पक्ष में तन, मन, कर्म और वाणी से शुद्ध रहना बहुत जरूरी होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ पक्ष में पति-पत्नी को शारीरिक संबंधों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। इस दौरान बनाए गए शारीरिक संबंधों से पितर नाराज होते हैं।
नवरात्रि के दिन बहुत पवित्र होते हैं और घरों में कलश स्थापित किया जाता है। शास्त्रों में नवरात्रि के दौरान स्त्री और पुरुष के बीच शारीरिक संबंध बनाने की मनाही है।
किसी भी दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को उस दिन पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए। शुद्ध मन से की गई पूजा ही फल देती है। शास्त्रों में कहा गया है कि व्रत रखने वाले को व्रत के दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।