
Healthy Relationship Tips: हर रिश्ते में एक ऐसा पल जरूर आता है जब दो लोग जो एक दूसरे की बहुत परवाह करते हैं, अचानक लड़ने लगते हैं। एक गलत शब्द एक गलतफहमी भरा लहजा और बस ईगो बीच में आ जाता है। बार-बार झगड़े को याद करके हर बार को ओवरअनालाइज कर रहे हैं और यह सोचकर इंतजार कर रहे हैं कि सामने वाला पहले कदम क्यों नहीं बढ़ा रहा है। गलती उसकी थी उसे आना चाहिए? बस यही सोच रिश्ते के टूटने की वजह बनती है।
कोई बड़ी घटना नहीं, बल्कि छोटी-छोटी जिद,जब अहंकार प्यार से बड़ा बन जाता है तो रिश्ते टूट जाते हैं। यह बात महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य सदियों पहले ही समझ चुके थे। उनकी नीतियां केवल राजनीति और युद्ध तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वे इंसानी स्वभाव को भी गहराई से समझते थे। और अगर वे प्रेम और अहंकार के बारे में कुछ कहते, तो यही कहते, 'यदि आप अपने अहंकार को फैसला लेने देंगे तो बहस जीत सकते हैं, लेकिन आप उससे ज्यादा भी कीमती चीज अपने प्रिय इंसान को खो देंगे।'
अहंकार आपसे झूठ बोलता है, वो कहता है कि माफी मांगनी कमजोरी है। जब आपने गलती नहीं की तो झुकेंगे क्यों? अगर आप पहले झुक गए तो आपको हल्के में लिया जाएगा। पर सच्चाई है कि प्यार में कोई हारता या जीतता नहीं हैं। इसमें कोई स्कोरबोर्ड नहीं होता है। चाणक्य कहते हैं कि असली ताकत यह जानने में है कि कब झुकना चाहिए, कब डटे रहना चाहिए और कब छोड़ देना चाहिए। रिश्तों में, यह अहंकार छोड़कर कनेक्शन को प्रॉयरिटी देना आता है।
कुछ लोग माफी इसलिए मांगते हैं ताकि झगड़ा जल्दी खत्म हो जाए। "ठीक है, सॉरी" बस कह दिया ताकि माहौल हल्का हो जाए। लेकिन यह सच्ची माफी नहीं होती। यह सिर्फ डैमेज कंट्रोल करता है। चाणक्य कहते हैं कि हर बहस में दोनों पक्ष खुद को सही मानते हैं। यही इंसान की स्वाभाविक नेचर है। तो जब भी माफी मांगें, यह उम्मीद न करें कि सामने वाला भी माफी मांगेगा। ऐसा न करें कि "मैंने माफी मांगी, अब तुम्हारी बारी।" माफी इसलिए दें क्योंकि प्यार, अहंकार से ज्यादा जरूरी है।
चाणक्य कहते हैं कि एक पल रूकें और सोचें वो लोग जो कभी आपके सबसे करीबी थे, जिनके बिना आप एक दिन भी नहीं रह सकते थे, आज बस आपके फोन में एक नाम भर बनकर रह गए हैं। कितने रिश्ते इसलिए खत्म हो गए क्योंकि उनमें बड़ी घटनाएं नहीं, बल्कि ऐसे ही छोटे-छोटे अहंकारी पल थे जिनका हल नहीं निकला।