
Relationship Tips: अगर आपकी मौज-मस्ती करने वाली गर्लफ्रेंड शादी के बाद अक्सर गुस्सा या आक्रामक रहती है, तो इसके पीछे एक कारण आप भी हो सकते हैं। यह सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन यह सच है। शादी के बाद जिंदगी में कई बदलाव आते हैं। इस लेख में जानिए इन बदलावों का महिलाओं की जिंदगी पर कितना और क्या असर पड़ता है। जो पत्नी हमेशा हंसती-मुस्कुराती रहती थी, अब हमेशा गुस्से में रहती है। इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश करते हुए कपल फाइट घर का माहौल खराब कर देती है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो ये लेख आपके काम आने वाला है।
शादी के बाद शारीरिक, सामाजिक और मानसिक बदलाव महिलाओं को आक्रामक या गुस्सैल बना देते हैं। उनकी जिंदगी असीमित अपेक्षाओं में इस कदर उलझ जाती है कि इसका असर उनके व्यवहार में दिखने लगता है। शादी के बाद जब कोई लड़की नए घर में आती है तो उसे अपने पार्टनर, परिवार की भूमिका और जिम्मेदारियों को लेकर कुछ उम्मीदें होती हैं। जब ये इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं तो यह स्थिति उसके अंदर तनाव पैदा करती है। तनाव का नतीजा आक्रामकता और गुस्से के रूप में देखने को मिलता है।
महिलाओं को अक्सर मल्टीटास्कर माना जाता है। महिलाएं घर, बच्चे और नौकरी के बीच संतुलन बनाए रखने में कामयाब हो जाती हैं, लेकिन इस मैनेजमेंट के कारण उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता है। अगर परिवार में सभी के बीच काम बंटा हुआ हो तो यह समस्या नहीं होगी, लेकिन ज्यादातर भारतीय परिवारों में ऐसा नहीं होता है।
आप यानी पति की भूमिका भी पत्नी के व्यवहार को निर्धारित करती है। कई बार पत्नी को पति से तवज्जो नहीं मिलती। पति के घर में रहते हुए उसकी ओर से उपेक्षा या निराशा महसूस होने पर महिलाएं आक्रामक हो सकती हैं। फिर भावनात्मक दबाव और मल्टीटास्किंग उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करती रहती है। नतीजतन, आपको उनके मूड स्विंग का सामना करना पड़ता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों का असर उनके स्वभाव पर भी दिखता है। इसके अलावा प्रसव के बाद प्रसवोत्तर अवधि में उन्हें काफी भावनात्मक उथल-पुथल का सामना करना पड़ता है। इन सभी स्थितियों में अगर महिलाओं को परिवार का साथ नहीं मिलता है तो वे चिड़चिड़ापन, गुस्सा या आक्रामकता दिखाने लगती हैं।
कई परिवारों में ‘कौन बेहतर है’ की लड़ाई चलती रहती है। अगर महिलाएं अपने तय किए गए कामों में भी गलती करती हैं तो मतभेद पैदा होने लगते हैं। खुद को बेहतर साबित करने की यह लड़ाई उनके व्यवहार में दिखने लगती है। कई घरों में तो महिलाओं को अपने फैसले खुद लेने का विकल्प भी नहीं मिलता। इन सबके बाद अगर उन्हें नौकरी में दिक्कतें आने लगती हैं तो उन्हें लगने लगता है कि उनके प्रयासों की कद्र नहीं हो रही है। कुछ समय बाद ये सारी भावनाएं भ्रम और फिर गुस्से में बदलने लगती हैं।