'कसकर गले लगाना', पति की इस आदत से परेशान डॉक्‍टर पत्‍नी ने दे दी जान

वो जीना चाहती थी...गायनोलॉजिस्ट बनना चाहती थी। लेकिन पति की ज्यादती ने उसे इस दुनिया को अलविदा कहने पर मजबूर कर दिया। कहानी मुंबई के छत्रपति संभाजीनगर की है। जहां प्रतीक्षा ने 7 पेज का सुसाइड नोट लिखकर खुद की जिंदगी खत्म कर ली। 

 

Nitu Kumari | Published : Aug 28, 2024 10:37 AM IST

रिलेशनशिप डेस्क. 'तुम्हारे प्यार में मैं खुद को भूल गई...कई सपनों के साथ मैंने तुमसे शादी की थी कि तुम मुझे भरपूर जीवन दोगे...लेकिन तुमने मेरी रफ्तार धीमी कर दी, मुझे इतना प्रताड़ित किया कि मेरे पास मरने के अलावा कोई चारा नहीं है' ये शब्द प्रतीक्षा के हैं जिसने जिंदगी को खत्म करने से पहले पन्नों में उकेरा। महिला डॉक्टर के 7 पेज की सुसाइड नोट को जिसने भी पढ़ा वो रो दिया। एक होनहार महिला कैसे अपनी सांसे खुद रोक देगी किसी को यकीन नहीं हो रहा है। एक फैमिली जिसने बेटी को पढ़ा लिखाकर आत्मनिर्भर , शादी की उसके मरने की खबर सुनकर उनपर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है।

प्रतीक्षा का सुसाइड करने का कदम कितना सही और कितना गलत है उस पर बात करने की बजाय ये जानना जरूरी है कि आखिर एक आत्मनिर्भर लड़की को ये कदम क्यों उठाना पड़ा। पति कुणाल की बेरहमी के बाद भी वो अपनी अंतिम इच्छा में कहती है कि चाहती हूं कि चिता पर रखने से पहले तुम मुझे कसकर गले लगाओं। तुम खुश रहो और मुझे भूल जाओ। आइए बताते हैं कि शादी के बाद उसका पति कैसे उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था जिसका जिक्र उसने खुद सुसाइड लेटर में लिखा है।

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सुसाइड नोट में प्रतीक्षा ने और क्या कहा-

प्रिय,

तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैं तुम्हारे लिए खुद को भूल गई। मेरे जैसी हंसती हुई लड़की को परेशान करके तुमने उसकी रफ्तार धीमा कर दिया।

आपने एक आत्मनिर्भर, महत्वाकांक्षी लड़की को आश्रित बना दिया। मैंने कई सपनों के साथ तुमसे शादी की थी कि तुम मुझे भरपूर जीवन दोगे, देखभाल करोगे, करियर में सहयोग दोग, एक छोटा परिवार दोगे। मैं इसकी तैयारी कर रही थी कि तुम्हें बेटा चाहिए या नहीं. हमारे पास एक प्यारा बच्चा है। अगर तुम आज यह समय मेरे सामने नहीं लाते। आपके कहे अनुसार, सब कुछ छोड़ दिया।जब मैंने अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, माता-पिता और भाई से बात की तो मैंने उनसे ज्यादा बात नहीं की, क्योंकि आप गुस्सा हो जाते थे।लेकिन फिर भी आपका पेट नहीं भरा है। उन्होंने मोबाइल फोन बदलने की बात कही, नंबर बदलने को लेकर बहस की, लेकिन इसके लिए तैयार हो गए।आपका संदेह खत्म नहीं होता।लगातार मेरे चरित्र पर संदेह करते रहे लेकिन देवा शपथ के साथ कहना चाहती हूं क‍ि मैं आपके प्रति ईमानदार थी, हूं और रहूंगी. मेरे किरदार में कुछ भी गलत नहीं है.अपने पर‍िवार को परेशानी बताई तो हमारा र‍िश्‍ता टूट जाएगा

लेटर के इस हिस्से को पढ़कर आप समझ गए होंगे कि प्रतीक्षा के पति को उस पर शक था। वो उसके चरित्र पर भरोसा नहीं करता था। जिसकी वजह से वो उससे झगड़ता था। आगे बताती हूं उसने और क्या लिखा...

आगे पढ़ने से रोक दिया गया

मुझसे नौकरी मांगी गई।मुझ पर नज़र रखने के लिए अपने दोस्तों को बुलाया, जिससे पता चल जता है कि आपको मुझपर भरोसा नहीं है। मेरे काम के दौरान भी आप हर समय मुझ पर नजर रखते है क‍ि मैं वहां क्या कर रही हूं। इतनी देर क्यों हो गई...आपने फोन नहीं किया, आप बात नहीं करना चाहते हैं ऐसा कहकर आपलगातार मुझे दुख पहुंचाया। जब मैंने नीट पीजी देना चाहा तो मुझे पढ़ने नहीं दिया गया। तुम रोज मेरी गलतियां सुनाकर मुझे मानसिक रूप से परेशान करने लगे। मुझे हमेशा यह धमकी देकर शांत कर दिया जाता था कि अगर मैंने अपनी परेशानी घर (मायके) में बताई तो हमारा रिश्ता टूट जाएगा। मैं इसे अब और सहन नहीं कर सकती।

पति इतना शकी था कि वो उसे आगे पढ़ने भी नहीं दिया। लगातार काम के दौरान उसे फोन करके परेशान करता था। प्रतीक्षा आगे लिखती है कि...

'अब मैं आजाद पंछी हूं'

'मैंने आपके पर‍िवार को बहुत महत्व दिया। सास की देखभाल की, कभी उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा। उन्होंने भी मुझे प्यार दिया। लेकिन आपने मेरे काम को कहा कि मैं अपने कर्तव्य का दिखावा करती हूं। ' इसके अलावा भी मृतिका ने कई बातें अपने लेटर में लिखा है, लेकिन अंतिम में उसने लिखा, अगर तुमने मुझसे थोड़ा सा भी प्यार किया है तो चिता पर रखने के पहले मुझे कसकर गले लगाना। तुम मुझे भूल जाना और खुश रहना। मम्‍मी-डैडी मैं आपसे बहुत प्यार हूं. अलविदा…अब मैं एक आजाद पंछी हूं।'

पति-पत्नी के रिश्तों में आपसी सम्मान ना हो तो अंत कुछ ऐसा हो सकता है

लेटर पढ़कर हर माता-पिता के आंखों में आंसू आ जाएंगे। प्रतीक्षा की इस दिल दहलाने वाली घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि कैसे पति-पत्नी के रिश्तों में आपसी सम्मान और भरोसा न होने के कारण हालात इस तरह तक बिगड़ सकते हैं। यह कहानी रिश्तों में संवाद, विश्वास और सम्मान की जरूरत को एक बार फिर से सामने लाती है।

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