
Emotional Support Relationship: कभी-कभी रिश्ते बिना किसी नाम के शुरू होते हैं सिर्फ दोस्ती, भरोसा और एक इमोशनल कनेक्शन। लेकिन जब एक इंसान धीरे-धीरे 'सबसे जरूरी सपोर्ट सिस्टम' बन जाता है, जबकि दूसरा उसे सिर्फ दोस्त मानता है, तो दिल टूटने का खतरा बढ़ जाता है। यह कहानी ऐसे ही एक इंसान की है जिसने सालों तक इमोशनल सपोर्ट दिया और अब कन्फ्यूज्ड है। यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जो एक लड़की (भव्या) के लिए प्राइमरी इमोशनल सपोर्ट बन गया। उसने परिवार के दबाव, डर, फाइनेंशियल मुश्किलों और पिछले रिश्तों से जुड़ी उसकी समस्याओं को सुना। दोस्ती धीरे-धीरे एकतरफा प्यार में बदल गई।
भव्या ने उस पर भरोसा किया, उसके साथ ट्रिप्स पर गई, एक कमरा और यहां तक कि एक बिस्तर भी शेयर किया, गहरी बातचीत की, और "दोस्त से लवर" वाले सिग्नल दिए। लेकिन उसने कभी भी खुलकर रोमांटिक कमिटमेंट जाहिर नहीं किया। यहां समस्या यह है कि इमोशनल लेबर एकतरफा हो गया।
जब उसने प्रपोज किया, तो न हां थी और न ना-बस चुप्पी थी। यह चुप्पी अपने आप में एक जवाब है। किसी भी रिश्ते में साफ बातचीत जरूरी है। लगातार टालमटोल अक्सर यह दिखाता है कि दूसरा इंसान रिश्ते को उसी लेवल पर नहीं देखता।
भव्या उसे अपना "हमेशा का दोस्त" मानती है। ऐसे मामलों में, एक इंसान को अक्सर इमोशनल सेफ्टी नेट की तरह इस्तेमाल किया जाता है- सपोर्ट, समय और देखभाल देना, लेकिन बिना रोमांटिक कमिटमेंट के। यह अनजाने में हो सकता है, लेकिन फिर भी दुख पहुंचाता है।
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रेडिट पर स्टोर कर लड़के ने लोगों से राय मांगी जिसपर एक यूजर ने कहा अगर वह तुमसे शादी करना चाहती, तो हां कह देती। लेकिन उसे सोचना पड़ा, है ना? दूसरे यूजर ने कहा वह हिचकिचाई क्योंकि यह एक ऑप्शन था और शायद उसके दूसरे ऑप्शन से बेहतर था, लेकिन यह वह नहीं था जो वह दिल से चाहती थी।
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