दिल्ली हाईकोर्ट ने एक विदेशी महिला के साथ रेप में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि साथ रहने की सहमति का मतलब सेक्स के लिए हां नहीं।
रिलेशनशिप डेस्क : आजकल कई सारे पार्टनर्स लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं या फ्रेंड्स भी एक दूसरे के साथ रूम शेयर करके रहते हैं, लेकिन किसी महिला का किसी पुरुष के साथ रहना सेक्स के लिए हां नहीं होता है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की सिंगल बेंच ने कहा कि सिर्फ इसलिए की अभियोजक किसी पुरुष के साथ रहने की सहमति देती है, भले ही कितने ही समय के लिए क्यों ना हो, यह अनुमान लगाने का अधिकार कभी नहीं हो सकता है कि उसने पुरुष के साथ सेक्स करने की सहमति भी दी है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, चेक रिपब्लिक की नागरिक से रेप के आरोप में दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में जस्टिस अनूप जयराम भंभानी सुनवाई कर रहे थे। जिसमें उन्होंने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। दरअसल, इस शख्स ने खुद को आध्यात्मिक गुरु बताते हुए महिला को अपने झांसे में फंसाया और उसके पति की मौत के बाद श्राद्ध की रस्म निभाने के नाम पर उसका यौन शोषण किया। आरोपी ने 2019 में दिल्ली के हॉस्टल में महिला से छेड़छाड़ की और फिर जनवरी-फरवरी 2020 में उसके साथ प्रयागराज और बिहार में शारीरिक संबंध बनाए। इस मामले में महिला ने मार्च में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद आईपीसी की धारा 354 और 376 के तहत उसके खिलाफ मई में चार्जशीट दायर की गई थी।
आरोपी के वकील ने दिया बयान
दरअसल, कोर्ट में पेशी के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि पीड़िता बालिग थी और उसके साथ शारीरिक संबंध पूरी तरह सहमति से बने थे। वकील ने यह तर्क दिया कि एफआईआर दिल्ली में हुई और इसके बहुत बाद में शिकायत दर्ज की गई थी। जिस पर जज ने कहा कि यह कहीं नहीं कहा गया है कि अभियुक्त ने महिला को बंधक बना लिया था या उसके साथ शारीरिक बल का प्रयोग किया। हो सकता है कि शारीरिक संबंध बनाने की पहली घटना दिल्ली के हॉस्टल में हुई, जिसकी प्रकृति रेप नहीं थी। लेकिन यहां पीड़िता की चुप्पी को इस बात का लाइसेंस नहीं माना जा सकता कि उस पर यौन हमला किया जाए या उसके साथ बाद में जोर जबरदस्ती हो।
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