
Parenting Guide For Mentally Strong Kids: हर पेरेंट चाहता है कि उसका बच्चा मानसिक रूप से मजबूत, आत्मनिर्भर और कॉन्फिडेंस बने। लेकिन अनजाने में हम कुछ ऐसे काम कर देते हैं जो बच्चों के इमोशनल और मेंटल डेवलपमेंट को धीमा कर देते हैं। सही पेरेंटिंग सिर्फ प्यार और सुरक्षा देना नहीं है, बल्कि बच्चों को चुनौतियों से निपटना, अपनी भावनाओं को समझना और खुद फैसले लेना सिखाना भी है।
अगर आप हर बार अपने बच्चे को मुश्किल से निकाल देंगे, तो वे चुनौतियों का सामना करना नहीं सीखेंगे। छोटी-छोटी परेशानियां जैसे होमवर्क में दिक्कत, दोस्त के साथ तकरार या खेल में हार, ये सब उन्हें प्रॉब्लम सॉल्विंग और रेजिलिएंस सिखाती हैं।
बच्चे जब उदास, गुस्से में या डरे हुए होते हैं, तो तुरंत उन्हें “रोओ मत” या “सब ठीक है” कहना उनकी इमोशनल अंडरस्टैंडिंग को रोक देता है। इसके बजाय उन्हें कहें- “मुझे पता है ये समय कठिन है, लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूं।” इससे वे अपनी भावनाओं को महसूस करना और संभालना सीखते हैं।
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बार-बार “तुम बहुत होशियार हो, तुम स्मार्ट हो, तुम समझदार हो” कहने से बच्चे रिस्क लेने से डर सकते हैं, क्योंकि वे अपनी इमेज बनाए रखना चाहते हैं। इसके बजाय कहें- “तुमने इस पर मेहनत की, इसलिए अच्छा किया।” इससे उनका ध्यान मेहनत और सीखने पर रहेगा, न कि सिर्फ रिजल्ट पर।
अगर आप उनके कपड़े चुनते हैं, हर झगड़े में तुरंत कूद जाते हैं या हर कदम पर गाइड करते हैं, तो बच्चे अपनी पसंद और समस्या हल करना नहीं सीख पाते। उन्हें फैसले लेने और गलतियां करने का स्पेस दें।
बच्चे वही सीखते हैं जो वे आपको करते देखते हैं। अगर आप अपने स्ट्रेस, ट्रामा और परेशानियों को संभालना सीखते हैं, तो बच्चे भी हेल्दी कोपिंग स्किल्स अपनाएंगे। आपकी हीलिंग उनकी मेंटल हेल्थ पर सीधा असर डालती है।
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American Psychological Association के अनुसार, बच्चों की तारीफ “स्मार्ट” कहकर करने से वे असफलता से डरने लगते हैं और नई चुनौतियों को अपनाने से बचते हैं। इसके बजाय, मेहनत और प्रयास की तारीफ करना उन्हें रिस्क लेने और सीखने के लिए प्रेरित करता है।
University of California, Berkeley की रिसर्च कहती है कि ओवर प्रोटेक्टिव पेरेंटिंग बच्चों को असफलता से निपटना, समस्याओं को हल करना और कॉपिंग स्किल्स (मुश्किल में संभलना) सीखने से रोकती है।