टीएनएज में बेटियों को पीरियड्स, यौन सुरक्षा, आत्म-सम्मान, शरीर को अपनाना और अच्छी दोस्ती जैसे ज़रूरी विषयों पर खुलकर बात करना उनके खुशहाल भविष्य के लिए बेहद ज़रूरी है।
रिलेशनशिप डेस्क. बेटियों को जीवन की महत्वपूर्ण सीख देना बहुत जरूरी होता है। वो अपने माता-पिता से न सिर्फ जीवन के सबक सीखती हैं, बल्कि कई मामलों में उन्हें एक मार्गदर्शक भी मानती हैं।पैरेंट्स के पास बच्चों के जीवन में पॉजिटिव बदलाव लाने का एक खास अवसर होता है। चाहें वो पीरियड्स की बात हो या फिर यौन जागरूकता की, हर चीज पर बेटियों से बात करना चाहिए। ये बातें उन्हें सशक्त और खुशहाल जीवन जीने में मदद कर सकती हैं। यहां पांच महत्वपूर्ण सीखें दी गई हैं जो आपको अपनी बेटी को टीनएज में सिखानी चाहिए।
सबसे पहले अपनी बेटी को पीरियड्स के बारे में जागरूक कीजिए। उसे समझाएं कि जैसे-जैसे वह बड़ी होती है, उसका शरीर एक महिला की तरह विकसित होता है, जिसमें बच्चे को जन्म देने की क्षमता होती है। उसे बताएं कि हर महीने पीरियड्स होता है जिससे गर्भाशय की परत टूटती है और कुछ दिनों तक ब्लीडिंग होती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। उन्हें इसके हाइजीन के बारे में बताएं। पैड को कैसे लगाते हैं और कितनी बार बदलना चाहिए इन सबके बारे में बताना चाहिए। उसे यह यकीन दिलाएं कि आप हर कदम पर उसकी मदद के लिए हैं।
जैसे-जैसे बेटियां बड़ी होती हैं, यौन स्वास्थ्य और यौन संबंधों के बारे में सही जानकारी देना भी महत्वपूर्ण है। इस विषय पर बात करना कठिन हो सकता है, लेकिन आज इंटरनेट पर कई तरह की जानकारी उपलब्ध है। इसलिए अपनी बेटी को सही जानकारी देना आपकी जिम्मेदारी है। उसे असुरक्षित यौन संबंधों के जोखिम और इस तरह के फैसलों के संभावित प्रभाव के बारे में अवगत कराएं। इससे वह खुद के लिए सही निर्णय ले सकेगी और गलत जानकारी से बच सकेगी।
किसी भी परिस्थिति में अपने आप को दूसरों के लिए बदलना या खुश करने के लिए समझौता करना सही नहीं है। आत्म-सहानुभूति तीन महत्वपूर्ण तत्वों पर आधारित होती है: अपने प्रति सजगता, समान मानवता, और आत्म-दया। अपने प्रति सजग होना, खुद के प्रति दयालु होना और यह समझना कि सभी लोग गलतियाँ करते हैं, आत्म-सहानुभूति का एक हिस्सा है। अपनी बेटी को सिखाएं कि वह खुद को अपनाए और हर परिस्थिति में अपने प्रति दयालु बनी रहे।
इतिहास गवाह है कि महिलाओं के शरीर का अपमान किया जाता रहा है। आज के दौर में जहाँ 'परफेक्ट बॉडी' का चलन है, अपनी बेटी को आत्म-प्रेम और अपने शरीर को स्वीकार करना सिखाएं। यह महत्वपूर्ण है कि वह अपने शरीर को उसी तरह माने जैसे वह है और उसमें सकारात्मक बदलाव को स्वीकार करे। उसे बताएं कि हर शरीर खूबसूरत होता है और उसे अपने आप में आत्म-सम्मान बनाए रखना चाहिए।
दुनिया में अरबों लोग हैं, लेकिन अच्छे दोस्तों का चुनाव करना मुश्किल हो सकता है। जिस संगति में हम रहते हैं, उसका हमारे व्यक्तित्व पर गहरा असर होता है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बेटी के सामने स्वस्थ और सच्ची दोस्ती का उदाहरण प्रस्तुत करें। इससे उसे समझ में आएगा कि सच्ची दोस्ती कैसी होती है और वह गलत संगति से बच सकेगी।
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