प्यार कभी मरता नहीं! शहीद कैप्टन अंशुमान की पत्नी स्मृति की जुबानी उनकी लव स्टोरी सुन छलक पड़ेंगी आंखें

शहीद अंशुमान सिंह हमारे बीच नहीं है। लेकिन उनकी वीरता और प्रेम कहानी लोगों के दिलों में बस गई है। उनकी पत्नी स्मृति ने पूरी दुनिया को अपनी लव स्टोरी सुनाई। जिसने भी सुना वो इमोशनल हो गया।

रिलेशनशिप डेस्क. कहते हैं प्यार कभी भी मरता नहीं है, कहानी बनकर वो अमर हो जाता है। 18 जुलाई 2023 को वो जांबाज सियाचिन में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर अपनी पत्नी के साथ अगले 50 सालों का प्लान बना रहा था। घर बसाने का, आने वाले बच्चों का प्लान। लेकिन दो प्रेमी जो महज 5 महीने पहले पति-पत्नी बने थे, 19 जुलाई 2023 को हमेशा के लिए जुदा हो गए। पत्नी के साथ मोहब्बत की मंजिलें तय करने वाले कैप्टन ने वतन की हिफाजत के लिए अपनी जान गंवा दी। ये कहानी शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह और उनकी पत्नी स्मृति की है।

5 जुलाई को शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। उनका वीरता पुरस्कार उनकी मां और पत्नी स्मृति सिंह ने ग्रहण किया। उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले अंशुमान और स्मृति की लव स्टोरी बहुत ही खूबसूरत और भावुक करने वाली है। शहीद की पत्नी ने खुद अपनी लव स्टोरी कीर्ति चक्र ग्रहण करने के बाद सुनाई।

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पहली नजर में प्यार

स्मृति और अंशुमान का प्यार पहली नजर का था। दोनों कॉलेज के पहले दिन मिले थे। स्मृति के मुताबिक, “उसी दिन हम दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। मुलाकात के एक महीने बाद बाद अंशुमान का चयन सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (AFMC) में हो गया।“ उनकी मुलाकात एक इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई लेकिन उनमें से एक का चयन मेडिकल कॉलेज में हो गया। बकौल स्मृति, “वो (अंशुमान) बहुत समझदार थे।“ बहुत कम दिनों की मुलाकात के बाद दोनों अपना-अपना करियर बनाने के लिए अलग हो गए। लेकिन प्यार कम नहीं हुआ। 8 साल तक लॉन्ग डिस्टेंस का सफर तय किया। इसके बाद दोनों ने शादी कर ली।

18 जुलाई की बातें रह गई अधूरी

लेकिन खुशियां ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं थी। पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन के कैप्टन अंशुमान की पोस्टिंग सियाचिन में हो गई। अभी शादी के महज 5 महीने ही हुए थे। स्मृति के मुताबिक, “18 जुलाई को हमारी काफी लंबी बातचीत हुई थी। अगले 50 सालों में हमारा जीवन कैसा होगा। हम घर बनाने जा रहे हैं, हमारे बच्चे होंगे, और जाने क्या-क्या। 19 तारीख की सुबह जब मैं उठी तो मुझे फोन आया कि वे अब नहीं रहे। शुरुआती 7-8 घंटों तक हम यह भरोसा नहीं कर पाए कि ऐसा कुछ हुआ है। आज तक मैं इससे उबर नहीं पाई हूं। बस यह सोचने की कोशिश कर रही थी कि शायद यह सच नहीं है। लेकिन अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो मुझे एहसास हुआ कि यह सच है। लेकिन कोई बात नहीं वह एक हीरो हैं।“

इमोशनल स्मृति आगे कहती हैं कि हम अपने जीवन का थोड़ा मैनेज कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने बहुत कुछ मैनेज किया है। उन्होंने अपना जीवन और परिवार त्याग दिया ताकि अन्य तीन सैन्य परिवारों को बचाया जा सके। आप भी स्मृति की भावुक करने वाली कहानी उनकी जुबानी यहां सुन सकते हैं।

 

 

बता दें कि देवरिया के रहने वाले अंशुमान अपने साथियों की जान बचाते हुए शहीद हो गए थे।19 जुलाई 2023 की सुबह सियाचिन में भारतीय सेना के गोला-बारूद के भंडार में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। कैप्टन सिंह ने बहादुरी दिखाते हुए फाइबर-ग्लास की झोपड़ी में फंसे साथी सैनिकों को निकाला। इस दौरान वो बुरी तरह झुलस गए थे। चार साथियों को बचाने वाले अंशुमान सिंह खुद मौत का मुकाबला नहीं कर पाए और शहीद हो गए

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