पत्नी की चोरी से कॉल रिकॉर्डिंग करना क्या लीगल है? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

Published : Aug 08, 2025, 03:25 PM IST
Husband Wife Coll Recording

सार

Legal Rights Of Husband Over Wife: अगर पति -पत्नी को एक दूसरे पर शक हो, तो क्या वो उसके कॉल्स रिकॉर्ड करके अदालत में तलाक का आधार बना सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर एक एतिहासिक फैसला सुनाया। आइए जानते हैं इसके बारे में। 

Supreme Court On Husband Wife Coll Recording: रक्षिता और रियांश (बदले हुए नाम) की शादीशुदा जिंदगी ठीक नहीं चल रही थी। रियांश को अपनी पत्नी रक्षिता के व्यवहार पर शक था। उसने चोरी-छिपे अपनी पत्नी की कॉल रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। इसके बाद कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की। रक्षित ने उन कॉल रिकॉर्डिंग्स को सबूत के रूप में पेश किया। अब सवाल यह उठता है, क्या बिना जानकारी के किसी की कॉल रिकॉर्ड की जा सकती है? क्या ऐसी रिकॉर्डिंग को अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? और सबसे अहम, क्या यह किसी की निजता का उल्लंघन नहीं है? इन्हीं महत्वपूर्ण सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी राय दी।आइए जानते हैं कि यह केस किस-किस अदालत से होकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और आखिरकार जज ने क्या फैसला सुनाया।

कॉल रिकॉर्डिंग को फैमिली कोर्ट ने माना साक्ष्य

रियांश को अपनी पत्नी पर शक था। वह उसकी सच्चाई सबके सामने लाना चाहता था, इसलिए उसने चुपके से उसकी कॉल रिकॉर्डिंग शुरू की। इन रिकॉर्डिंग्स में उसे कई अहम बातें पता चलीं, जिन्हें उसने आधार बनाकर फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की। फैमिली कोर्ट ने कॉल रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करते हुए तलाक की अर्जी मंजूर कर ली।

क्या चोरी से कॉल या वीडियो रिकॉर्डिंग निजता का उल्लंघन है?

लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। महिला पक्ष के वकील ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में रिट दाखिल की। दलील दी गई कि बिना जानकारी के कॉल रिकॉर्डिंग करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है। साथ ही अदालत के समक्ष कई पुराने फैसलों का हवाला भी दिया गया। वकील ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की।

कॉल रिकॉर्डिंग को हाई कोर्ट ने सबूत मानने से किया इंकार

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति की ओर से चोरी से की गई कॉल रिकॉर्डिंग पत्नी की निजता का उल्लंघन है। इसलिए इसे सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि इस प्रकार की कॉल रिकॉर्डिंग वैध साक्ष्य नहीं मानी जाएगी।

और पढ़ें: Video: पति से हर महीने 6,000,000 रुपए की मांग पर भड़की जज साहिबा, कहा-खुद जाओं कमाओ

एसएलपी के तहत सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती

हाईकोर्ट के इस फैसले को पति पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) के माध्यम से चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे, ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि हमें नहीं लगता कि इस मामले में किसी प्रकार का निजता का उल्लंघन हुआ है।

इसे भी पढ़ें: जैसे ही पत्नी ने गूगल पर सर्च किया पति का नाम, वैसे ही सलाखों के पीछे पहुंच गया हस्बैंड

सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना इस केस को निजता का उल्लंघन

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति ऑडियो या वीडियो कॉल रिकॉर्ड करता है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता, खासकर जब उसका उद्देश्य कोर्ट में सबूत पेश करना और न्याय पाना हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि सबूत पेश करने और राहत पाने का जो कानूनी अधिकार है, वह ऐसे साक्ष्य को मान्यता देता है। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि पति-पत्नी इस स्तर पर पहुंच जाएं कि वे एक-दूसरे की जासूसी कर रहे हों, तो यह अपने आप में संबंधों में टूटन और विश्वास की कमी को दिखाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि पत्नी की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई टेलीफोन बातचीत वैवाहिक कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य है। SC ने और क्या कुछ कहा-इस वीडियो में देखें।

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

पत्नी ने 2 साल तक छुआ नहीं..पर करती है ये 'गंदा काम', पति का छलका दर्द
माता-पिता ने रखा ऐसा नाम कि लड़की बोली- जन्म लेने की ‘सजा’ मिली