
आचार्य चाणक्य न केवल एक महान अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, बल्कि उन्होंने रिश्तों को लेकर भी गहरी बातें कही हैं। चाणक्य नीति में पति-पत्नी के संबंधों को लेकर कई मूल्यवान उपदेश हैं। उनके अनुसार, अगर पत्नी में कुछ विशेष नकारात्मक आदतें होती हैं, तो उसका असर पति के मन, व्यवहार और रिश्ते पर पड़ता है। धीरे-धीरे वह भावनात्मक रूप से दूर होने लगता है, चाहे वह घर न भी छोड़े। ऐसे में इन आदतों को पहचानना और सुधारना रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी है।
अगर पत्नी हर छोटी-बड़ी बात पर बहस करती है, पति की राय को बार-बार काटती है, तो पति धीरे-धीरे चुप रहना शुरू कर देता है और मानसिक दूरी बना लेता है।
अगर पत्नी बार-बार पति की कमियों को दूसरों के सामने उजागर करती है, या उसकी इज्जत नहीं करती, तो पति के आत्म-सम्मान पर ठेस पहुंचता है और वह उससे दूरी बनाना शुरू कर देता है।
चाणक्य ने कहा है, "धन की रक्षा पत्नी का भी कर्तव्य है।" अगर पत्नी फिजूलखर्ची करे और आर्थिक समझदारी न दिखाए, तो पति को यह व्यवहार असुरक्षा देता है और वह भावनात्मक रूप से कटने लगता है।
अगर पत्नी बार-बार पति की तुलना दूसरों से करती है – जैसे “देखो शर्मा जी कैसे हैं” – तो यह पति के आत्म-छवि को चोट पहुंचाता है और वह अंदर से टूटता है, जिससे दूरी बढ़ती है।
अगर पत्नी घर, बच्चों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करती है, तो पति को अकेलापन और बोझ महसूस होता है। इससे रिश्ते में अनबन और दूरी आती है।
चाणक्य नीति में साफ कहा गया है कि रिश्ते की नींव सत्य और विश्वास पर होनी चाहिए। अगर पत्नी बार-बार झूठ बोलती है, तो पति उस पर भरोसा खो देता है।
अगर पत्नी सिर्फ अपने सपनों, इच्छाओं और भावनाओं की बात करती है और पति की भावनाओं को न समझे, तो पति अकेलापन महसूस करता है और भावनात्मक रूप से दूर हो जाता है।
अगर पत्नी पति की बात को अनसुना करे, सुनकर भी प्रतिक्रिया न दे, तो पति को यह अस्वीकार जैसा अनुभव होता है और वह कन्नी काटने लगता है।
अगर पत्नी हर बात में शिकायत करे और कभी भी पति की मेहनत, प्रयास या सहयोग की सराहना न करे, तो यह उसकी भावनाओं को आहत करता है।
अगर पत्नी अपने मायके, दोस्तों या किसी और रिश्तेदार के साथ जरूरत से ज़्यादा जुड़ाव या तुलना करे, तो पति खुद को भावनात्मक रूप से अनचाहा महसूस करता है।