सुहागरात से जुड़ी ये 5 गलतफहमियों के बारे में दूल्हा-दुल्हन को जरूर होना चाहिए पता
सुहागरात को हमेशा लोग एक ही चीज से जोड़कर देखते हैं। जिसकी वजह से कई तरह की गलतफहमियां पैदा होती है। सुहागरात के दिन तय होता है कि पति-पत्नी का रिश्ता आगे जाकर कैसा होने वाला है। तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी गलतफहमियां जिसे दूर करने की जरूरत है।
एक इंसान दूसरी जिंदगी तब जीना शुरू करता है जब उसकी शादी होती है। दो अंजान लोग मिलकर एक गृहस्थी बसाते हैं और फिर हर कदम पर उनके लिए नया अनुभव होता है। आपसी समझ के साथ शुरू हुआ रिश्ता लॉन्ग टर्म के लिए होता है। लेकिन अगर इस रिश्ते के पहले चरण में कड़वाहट आ जाए तो फिर ताउम्र इस रिश्ते में दर्द के सिवा कुछ नहीं मिलता है। शादी करने के बाद जो सबसे पड़ा पल आता है वो सुहागरात (suhaag raat) होता है। इसे लेकर कई तरह की गलतफहमियां लड़का-लड़की के मन में होता है जिसे दूर करने की जरूरत है।
सुहागरात के दिन दो शरीर का मिलन
अक्सर लड़का-लड़की के मन में यह गलतफहमी होती है कि सुहागरात के दिन दूल्हा-दुल्हन के बीच शारीरिक संबंध जरूर बनना चाहिए। फिल्मों और सीरियल में भी उसे इसी तरह दिखाया गया जिसकी वजह से लोगों के मन में यह बैठ जाता है। जो कि बिल्कुल गलत है।
सुहागरात मतलब तन नहीं मन का मिलन
सुहागरात का मतलब सिर्फ शारीरिक संबंध बनाना नहीं होता है। यह वो पहला पल होता है जब न्यूली मैरिड कपल एक दूसरे के साथ अकेले वक्त बिताते हैं। जब दोनों एक लड़का-लड़की से पत्नी-पत्नी में बदल जाते हैं। ऐसे दोनों का कनेक्शन इस दिन इमोशनली बनना जरूरी होती है। इंटिमेसी से ज्यादा प्यार और सम्मान की नींव इस दिन एक दूसरे के लिए पड़नी चाहिए।
दबाव डालना है जरूरी
अक्सर लड़का-लड़की पहली रात में एक दूसरे को लेकर सहज नहीं होते हैं। इससे जुड़ी गलतफहमी उनके मन में होता है कि अब तो पत्नी-पत्नी हैं खुद पर थोड़ा दबाव डालकर सुहागरात वाली रस्म को निभाया जाए जिसकी धारणा बनी हुई है। लेकिन इसे तोड़ने की जरूरत है। अगर आप पहली रात में इंटिमेसी के लिए सहज नहीं हैं तो फिर एक दूसरे को समझने की कोशिश कीजिए। ढेरों बातें कीजिए। एक दूसरे के बीच कम्यूनिकेशन गैप की गुजाइंश को खत्म कीजिए।
रोमांस को लेकर है गलत धारणा
सुहागरात के दिन अगर शारीरिक संबंध नहीं बना तो रोमांस पीछे रह जाएगा ऐसी सोच कपल के मन में होती है। पहली नाइट मतलब फीजिकल रिलेशनशिप इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत है। आप इस दिन को लव स्टोरी की शुरुआत वाला दिन भी बना सकते हैं। कपल एक दूसरे को दोस्त बनाएं..फिर एक दूसरे के करीब आए और जब मन पूरी तरह एक दूसरे के लिए समर्पित हो जाए तो फिर फीजिकल हो। जरूरी नहीं कि ये सब सुहागरात के दिन ही हो। जिस दिन आप पूरे मन से एक दूसरे से समर्पित हो जाए वहीं दिन आपके लिए सुहागरात हो जाएगा।
सामने वाले पर डालना पड़ता है प्रेशर
पुरानी धारणा लोगों के अंदर इतनी रच बस जाती है कि पहली रात को दोनों में से कोई एक पक्ष इसके लिए जोर डालता है। जिसकी वजह से दूसरे को लगता है कि सुहागरात पर जबरदस्ती करना गलत नहीं होता है। लेकिन उसके मन में सामनेवाले के प्रति आकर्षण खत्म हो जाता है और मन में डर बैठ जाता है। जो आगे चलकर कड़वाहट की वजह बन सकती है। इसलिए ऐसा बिल्कुल ना समझे। सामने वाला सहज हो तभी उसके साथ रोमांस करने की कोशिश करें।