Infant Naming Moment: वर्ड और आब्जेक्ट को कैसे पहचानते हैं छोटे बच्चे, रिसर्च ने खोला Infants की मेमोरी का राज

बहुत कम लोगों को इस बात की समझ होती है कि छोटे बच्चे (Infant) किसी वर्ड और आब्जेक्ट (Word and Object) को कैसे पहचानने लगते हैं। यह बच्चों में भाषा सीखने की अद्भुत क्षमता होती है, नेचुरल प्रासेस से सभी बच्चे सीखते हैं।

नई दिल्ली. बच्चों (Infant) में वर्ड औ आब्जेक्ट (Words and Object)को पहचानने, सीखने की कला कैसे विकसित होती है? यह गहरी समझ बहुत कम लोगों को होती है। हाल ही में आए एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि छोटे बच्चे किस तरह से उम्र बढ़ने के साथ नाम और वस्तुओं के नाम को को-रिलेट करने लगते हैं। बच्चे बेहद कम उम्र में ही यह समझने लगते हैं कि किस चीज को किस नाम से बुलाया जाएगा। वे लोगों के नाम भी इसी तरह से समझने लगते हैं। यह सारी प्रक्रिया उनकी मेमोरी में होती है।

किस तरह से हुआ रिसर्च
रिसर्च कहता है कि 7 से 11 महीने के बच्चे बोलने से पहले शब्दों का जोड़ा बनाने लगते हैं। वे जो भी सुनते हैं और उस वक्त उनके आस-पास जो भी सामान या लोग होते हैं, उससे शब्दों को जोड़ने लगते हैं। यानि वर्ड और आब्जेक्ट को वे मेमोरी में कैटेगराइज करके स्टोर करने लगते हैं। साइकोलॉजिकल डेवलपमेंट से जुड़े इस रिसर्च में इसे नेमिंग मोमेंट्स कहा गया है। इसमें वह गतिविधियां नोट की गई हैं, जब इंफैंट के सामने कोई वर्ड, आब्जेक्ट, साउंट एक साथ आती हैं।

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बच्चों की मेमोरी है खास
ऐसा नहीं है कि बच्चा तुरंत ही सब कुछ सीख जाता है। यह सारी गतिविधियां उसकी मेमोरी में कैद होने लगती हैं फिर मजबूत मेमोरी तैयार होती है, जो तुरंत रिस्पांस करती है। रिसर्चर ने बताया कि हमने अध्ययन में पाया है कि कैसे बच्चे किसी आब्जेक्ट को मेमोरी में स्टोर करते हैं और उनको याद रखते हैं। रिसर्च में यह साफ पाया गया है कि भाषा सीखने में मेमोरी का ज्यादा रोल है। बार-बार आब्जेक्ट या वर्ड को दुहराने से कोई खास फायदा नहीं होता। मतलब मेमोरी की प्रक्रिया मजबूत है तो एक बार में भी बच्चा उस वर्ड और आब्जेक्ट को याद रख सकता है।

इंफैंट नेमिंग मोमेंट्स
बच्चों में सीखने की इस प्रक्रिया को समझने के लिए रिसर्चर्स ने बच्चों के साथ पारिवारिक माहौल में समय बिताया। उन्होंने आब्जेक्ट और वर्ड्स का कैटलाग भी बनाया, जिन्हें बच्चों के सामने लाया गया था। इंफैंट अपनी डेली लाइफ में कैसे सीखते रहते हैं, यह आब्जर्व किया गया। उन्होंने बच्चों की मेमोरी को भी समझने की कोशिश की। बच्चे कैसे आब्जेक्ट और वर्ड्स को मेमोरी में कैद करते हैं, यह भी रिसर्च का हिस्सा रहा। 

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