
Must-visit Shiva temples during Char Dham Yatra: चार धाम यात्रा केवल तीर्थों की यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण और आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ने का माध्यम भी है। इस पवित्र यात्रा के दौरान अगर आप भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों के भी दर्शन कर लें, तो मान्यता है कि भोलेनाथ का आशीर्वाद जीवन में सुख-शांति और मुक्ति दोनों देते हैं। यहां हम बता रहे हैं, चारधाम यात्रा के दौरान पड़ने वाले 7 खास शिव मंदिरों के बारे में, जिनके दर्शन से यात्रा सफल और पुण्यदायक मानी जाती है।
उत्तरकाशी जिले में स्थित लाखामंडल मंदिर महाभारत काल से जुड़ा है। मान्यता है कि यहीं पांडवों ने दुर्योधन द्वारा बनाए लाक्षागृह से बचने के लिए सुरंग बनाई थी। यहां का शिवलिंग स्वयंभू और ग्रेफाइट से बना है।
यह मंदिर गुप्तकाशी के पास स्थित है और एक प्राकृतिक गुफा के भीतर मौजूद है। माना जाता है कि इसमें स्थित शिवलिंग स्वतः प्रकट हुआ था। गुफा के भीतर का वातावरण बेहद शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है। यहां ध्यान और जप करने से मन को विशेष शांति मिलती है।
उत्तरकाशी में स्थित यह मंदिर वाराणसी के काशी विश्वनाथ जैसा ही महत्व रखता है। भागीरथी नदी के तट पर बने इस मंदिर का शिवलिंग अत्यंत पूजनीय है। मान्यता है कि यहां दर्शन से काशी दर्शन का पुण्य फल प्राप्त होता है।
गुप्तकाशी में स्थित यह मंदिर शिव और पार्वती के अर्धनारीश्वर स्वरूप को समर्पित है। यह मंदिर स्त्री और पुरुष ऊर्जा के संतुलन और एकत्व का प्रतीक माना जाता है। यहां शिव और शक्ति दोनों का एक साथ आशीर्वाद मिलता है।
यह मंदिर भी गुप्तकाशी में स्थित है और केदारनाथ जाने से पहले यहां दर्शन करने की परंपरा है। यह शिवलिंग स्वयंभू है और युगों पुराना माना जाता है। यहां से परंपरागत रूप से केदारनाथ यात्रा की शुरुआत होती है।
चोपता से कुछ किलोमीटर की ट्रेकिंग पर स्थित तुंगनाथ मंदिर को तृतीय केदार कहा जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और पंचकेदारों में से एक है। यहां की वायु और प्राकृतिक सौंदर्य में शिव का वास अनुभव होता है।
केदारनाथ के पास स्थित त्रियुगी नारायण मंदिर वह स्थान है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यहां एक पवित्र अग्निकुंड है, जो त्रेता युग से निरंतर जलता माना जाता है। विवाहित और विवाह योग्य भक्त यहां विशेष पूजा करते हैं।