Famous Ganpati Temples to Visit in Maharashtra: गणेश चतुर्थी का महापर्व आने वाला है, ऐसे में बप्पा के भक्तों के लिए यह बहुत खास और उत्सव का समय होता है। ऐसे में अगर आप बप्पा के भक्त हैं, तो महाराष्ट्र के इन मंदिरों पर जरूर जाएं और दर्शन करें।
Maharashtra Famous Ganpati Temples: गणेश चतुर्थी का पर्व महाराष्ट्र में सबसे बड़े उत्सवों में गिना जाता है। यहां के शहर और गांव भगवान गणपति की भक्ति में डूबे रहते हैं। महाराष्ट्र में गणेश जी को मानने वाले सबसे ज्यादा भक्त आपको मिल जाएंगे। इसलिए महाराष्ट्र में ही भारत के प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं, जहां जाने से भक्तों के सभी संकट और दूख दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं महाराष्ट्र के उन प्रसिद्ध गणेश मंदिरों के बारे में, जहां दर्शन मात्र से आस्था और श्रद्धा दोनों दोगुनी हो जाती हैं। इन मंदिरों में आप गणेश चतुर्थी के दौरान जाकर दर्शन कर सकते हैं।
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श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है। प्रभादेवी इलाके में स्थित यह मंदिर 1801 में बनाया गया था। यहां भगवान गणेश को "सिद्धिविनायक" यानी “मनोकामना पूर्ण करने वाले” के रूप में पूजा जाता है। फिल्मी सितारे, बड़े उद्योगपति से लेकर आम भक्त तक हर कोई गणपति बप्पा के दर्शन के लिए यहां पहुंचता है।
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श्री मोरेश्वर मंदिर, मोरेगांव (पुणे)
पुणे जिले के मोरेगांव गांव में स्थित श्री मोरेश्वर मंदिर को अष्टविनायक मंदिरों में पहला और सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से गणपति भक्त की सभी बाधाएं दूर होती हैं। यह मंदिर पुणे से लगभग 55 किलोमीटर दूर है और गणेश चतुर्थी पर यहां भक्तों का खासा जमावड़ा रहता है।
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श्री बल्लालेश्वर मंदिर, पाली (रायगढ़)
रायगढ़ जिले के पाली गांव में स्थित श्री बल्लालेश्वर मंदिर भी अष्टविनायक गणपति मंदिरों में से एक है। खास बात यह है कि यह मंदिर भगवान गणेश के उस स्वरूप को समर्पित है, जिसमें वे अपने भक्त बल्लाल की प्रार्थना सुनकर प्रकट हुए थे। गणेश चतुर्थी पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और बल्लालेश्वर के दर्शन कर जीवन की हर कठिनाई को आसान बनाने का आशीर्वाद लेते हैं।
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श्री वरदविनायक मंदिर, महाड (रायगढ़)
रायगढ़ जिले के महाड कस्बे में स्थित श्री वरदविनायक मंदिर को भी अष्टविनायक मंदिरों में गिना जाता है। यहां गणपति बप्पा "वरद" यानी "वरदान देने वाले" के रूप में पूजे जाते हैं। यह मंदिर पुणे से लगभग 85 किलोमीटर और मुंबई से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने वाले भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
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श्री चिंतामणि मंदिर, थेऊर (पुणे)
पुणे से लगभग 25 किलोमीटर दूर थेऊर में स्थित श्री चिंतामणि गणपति मंदिर भी अष्टविनायक श्रृंखला का हिस्सा है। यहां गणपति को “चिंताओं को हरने वाले” देवता माना जाता है। इतिहास और पुराणों के अनुसार, यह मंदिर पेशवा शासकों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। गणेश चतुर्थी पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु बप्पा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।