
Famouse Temple oF Maa Durga: नवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि शक्ति की मौजूदगी का उत्सव है। कहा जाता है कि नवरात्रि के 9 दिन दुर्गा हमारे बीच रहती हैं और अपने दिव्य स्वरूप का अनुभव कराती हैं। वो सिर्फ कथाओं और ग्रंथों में नहीं रहती, बल्कि मंदिर की घंटियों की गूंज, दीपों की रोशनी, मंत्रोचारण के दौरान देवी का आशीर्वाद महसूस किया जा सकता है। हालांकि हर घर नवरात्रि में एक छोटे मंदिर जैसा बन जाता है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जहां शक्ति की ऊर्जा विशेष रूप से जीवंत मानी जाती है। ये वे तीर्थस्थान हैं जहां परंपरा, आस्था और इतिहास मिलकर देवी की दिव्य उपस्थिति का अनुभव कराते हैं।
त्रिकुटा पर्वत पर स्थित वैष्णो देवी का धाम भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थों में से है। नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। गुफा में तीन पिंडियों के रूप में माता महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा होती है। माना जाता है कि नवरात्रि में देवी यहां विशेष रूप से जागृत होकर भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
कांगड़ा के पास स्थित चामुंडा देवी का मंदिर मां दुर्गा के उग्र रूप को समर्पित है। नवरात्रि में यहां दुर्गा सप्तशती का पाठ और विशेष अनुष्ठान होते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इन दिनों देवी खुद वहां आ जाती हैं और अपने भक्तों को हर बुरी शक्तियों से रक्षा देती हैं।
हुगली नदी के किनारे स्थित यह मंदिर मां काली के भव्य रूप को समर्पित है और श्री रामकृष्ण परमहंस से जुड़ा है। नवरात्रि के दौरान, विशेषकर महाष्टमी और महानवमी पर, यहां हजारों भक्त देवी भुवनेश्वरी के रूप में मां काली का आशीर्वाद लेने आते हैं।
गुवाहाटी की नीलाचल पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर शक्ति पीठों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां देवी सती के योनिभाग की पूजा होती है, जो सृजन शक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि में यहां देवी की सृजनात्मक ऊर्जा विशेष रूप से जाग्रत मानी जाती है।
गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर मौजूद अम्बाजी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक यंत्र की पूजा होती है। नवरात्रि में यहां गरबा, भजन और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
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दिल्ली का यह विशाल मंदिर मां कात्यायनी को समर्पित है। नवरात्रि के समय लाखों भक्त यहां एकत्र होते हैं। विशेष अनुष्ठान और स्तोत्र पाठ से मंदिर का वातावरण दिव्य हो उठता है। पूरे 9 दिन यहां पर उत्सव चलता है।
यह मंदिर अपनी प्राकृतिक ज्योतियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां बिना किसी तेल या घी के चट्टानों की दरारों से अग्नि प्रकट होती है, जिसे देवी की जीवित उपस्थिति माना जाता है। नवरात्रि में यह आस्था और भी गहरी हो जाती है।
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