
8 Myths About Visa on Arrival: इंटरनेशनल ट्रिप प्लान करते वक्त सबसे जरूरी चीज है वीजा। बहुत से देश में जाने के लिए आपको सबसे पहले वीजा अप्लाई करना पड़ता है, लेकिन बहुत से जगहों पर ट्रेवलर को वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलती है। ये सुविधा बहुत आसान और सुविधाजनक होती है, क्योंकि इसमें एम्बेसी के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। वीजा ऑन अराइवल मिलने पर आपको डायरेक्ट एयरपोर्ट पर ही वीजा मिल जाता है। यही कारण है कि इंडियन ट्रैवलर के बीच वीजा ऑन अराइवल की डिमांड काफी बढ़ गई है। वीजी ऑन अराइवल भले ही बहुत ट्रेंड में है, लेकिन इसके बारे में बहुत सी धारणाएं और मिथ है, जिसमें लोग फंस जाते हैं। आज हम आपको वीजा ऑन अराइवल से जुड़े सभी मिथ और उसकी असलियत के बारे में बताएंगे।
सबसे बड़ी गलतफहमी यही है कि हर देश में VoA की सुविधा उपलब्ध है। असल में ऐसा नहीं है, हर देश की अपनी अलग वीजा पॉलिसी होती है। कुछ देशों में भारतीय नागरिकों को VoA मिलता है, तो कुछ जगह केवल e-Visa या रेगुलर वीजा ही स्वीकार किए जाते हैं। इसलिए फ्लाइट टिकट बुक करने से पहले उस देश की ऑफिशियल वीजा गाइडलाइन को चेक जरूर करें।
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कई लोग सोचते हैं कि अगर वीजा ऑन अराइवल है, तो डॉक्यूमेंट्स की जरूरत नहीं होगी। जबकि सच यह है कि एयरपोर्ट पर भी आपसे डॉक्यूमेंट्स मांगे जाते हैं। इसमें वैलिड पासपोर्ट, होटल बुकिंग कन्फर्मेशन, रिटर्न टिकट और कई बार बैंक स्टेटमेंट जैसी डॉक्यूमेंट शामिल होती है। एक डॉक्यूमेंट की कमी आपके पूरे ट्रिप को बिगाड़ सकती है।
VoA मिलने का मतलब यह नहीं है कि आपको 100% उस देश में एंट्री मिल ही जाएगी। इमिग्रेशन ऑफिसर आपके डॉक्यूमेंट्स और ट्रैवल हिस्ट्री देखकर ही आपको उस देश में जाने का ग्रीन फ्लैग देते हैं। अगर उन्हें कुछ गलत लगे या कोई डॉक्यूमेंट मिसिंग हो तो एंट्री से भी मना भी किया जा सकता है।
इमिग्रेशन काउंटर पर वीजा फीस हर देश में अलग तरीके से ली जाती है। कई जगह सिर्फ लोकल करेंसी या डॉलर/यूरो ही एक्सेप्ट किए जाते हैं। भारतीय रुपए हर जगह स्वीकार नहीं होते। इसलिए बेहतर होगा कि आप पहले से ही जान लें कि वीजा फीस किस करेंसी में देनी होगी और उसके हिसाब से कैश या कार्ड अपने साथ रखें।
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अक्सर लोग सोचते हैं कि एयरपोर्ट पर वीजा लेना एम्बेसी से अप्लाई करने की तुलना में सस्ता होता है। लेकिन असलियत यह है कि कई देशों में VoA की फीस ज्यादा भी हो सकती है। कई बार पहले से वीजा अप्लाई करना ज्यादा किफायती होता है। इसलिए ट्रैवल करने से पहले फीस की तुलना करना जरूरी है।
यह भी एक गलतफहमी है कि वीजा ऑन अराइवल मिनटों में मिल जाता है। असल में एयरपोर्ट पर भीड़, स्टाफ की उपलब्धता और सिस्टम पर डिपेंड करता है कि आपको कितनी देर में वीजा मिलेगा। कई बार लंबी लाइन लग जाती है और इंतजार करना पड़ता है। इसलिए अपनी ट्रैवल प्लानिंग में थोड़ा एक्स्ट्रा समय जरूर हो।
कई देशों में यह जरूरी शर्त होती है कि आपके पास होटल बुकिंग कन्फर्मेशन और रिटर्न टिकट जरूर होना चाहिए। यह इमिग्रेशन ऑफिसर के लिए यह बताता है कि आप सिर्फ टूरिस्ट के तौर पर आए हैं और ओवर स्टे नहीं करेंगे।
यह सोचना भी गलत है कि VoA पर आप महीनों तक रुक सकते हैं। हर देश की ड्यूरेशन अलग होती है, जो आमतौर पर 15 दिन से 30 दिन तक हो सकती है। कुछ ही देशों में लंबी ड्यूरेशन का VoA दिया जाता है। इसलिए ट्रिप की प्लानिंग करते समय वीजा की वैलिडिटी का ध्यान जरूर रखें।
एलिजिबिलिटी हर देश में अलग-अलग होती है। भारतीय नागरिकों को कई देशों में यह सुविधा मिलती है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सभी जगह मिले। कुछ देशों में खास ट्रैवल हिस्ट्री, बैंक बैलेंस या मेडिकल इंश्योरेंस भी रखना जरूरी हो सकता है।