AC कोच बना शादी का पंडाल! यात्री का छलका दर्द – "ज़िंदगी का सबसे बुरा सफर"

Published : Jun 09, 2025, 05:14 PM IST
Passenger shares worst travel experience on Patalkot Express

सार

पातालकोट एक्सप्रेस में एक परिवार ने AC कोच को शादी के मंडप में बदल दिया! खाना-पीना, संगीत, मेहंदी, सब कुछ ट्रेन में। एक यात्री ने इस अजीबोगरीब अनुभव को Reddit पर शेयर किया।

ट्रेन में भारतीय मध्यम वर्गीय परिवार यात्रा करता है, घर जाने के लिए हो या फिर नौकरी के लिए एक शहर से दूसरे शहरे, फैमली ट्रिप हो या फिर कोई यात्रा, लंबी दूरी की यात्रा के लिए अक्सर लोग ट्रेन पर जाना सुविधाजनक मानते हैं। ऐसे में अगर ट्रेन में ऐसा कुछ हो जिसके बाद आपको दोबारा ट्रेन में जाने का मन न करे तो क्या होगा? हालही में एक Reddit यूज़र ने अपनी 'सबसे खराब ट्रेन यात्रा' का अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे पातालकोट एक्सप्रेस की AC बोगी अचानक एक हाई-प्रोफाइल शादी की पार्टी में बदल गई। इस घटना ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है और कई लोगों ने इसमें शामिल परिवार के व्यवहार की कड़ी निंदा की है।

क्या हुआ ट्रेन में?

  • यात्री ने बताया कि एक अमीर सिंधी परिवार (करीब 25-30 लोग) ट्रेन की AC बोगी में चढ़ा, जिसमें 8-9 बच्चे भी शामिल थे।
  • सभी लोग शादी के कपड़ों में पूरी तरह सज-धज कर आए थे, जैसे किसी शादी समारोह के लिए जा रहे हों।
  • उन्होंने तीन कोच के हिस्से बुक किए थे और खाने-पीने से लेकर म्यूज़िक और मेहंदी तक सबकुछ वहीं करने लगे।

ट्रेन में बन गया शादी का माहौल:

 

  • बच्चों ने बोगी में दौड़ना शुरू कर दिया, कोई चिल्ला रहा था, तो कोई सीटों पर चढ़-उतर रहा था।
  • एक लड़की ने वहीं पर मेहंदी लगाना शुरू कर दिया।
  • खाने के दो बड़े डिब्बों से निकला – ठंडाई, फ्रूट्स, ढोकला, केक, थेपला, चिप्स, सेव और आइसक्रीम!
  • लंच के बाद उन्होंने स्पीकर निकालकर 'तंबोला' खेलने का ऐलान कर दिया – जैसे किसी शादी की मस्ती हो।

शिकायत का भी उड़ाया मजाक:

  • परेशान यात्री ने Rail Madad पर शिकायत की। एक स्टेशन पर रेलवे अधिकारी आए और शांति बनाए रखने की हिदायत दी।
  • लेकिन इसके उलट, परिवार और भी ज्यादा तेज़ आवाज़ में भजन गाने, ताश खेलने और शोर मचाने लगा।
  • यात्री के मुताबिक, परिवार ने उन्हें ताना मारते हुए कहा – "और करो शिकायत!"

यात्री की नाराज़गी:

“मैंने ज़िंदगी में इससे बदतर ट्रेन यात्रा नहीं की। कॉलेज टाइम में जनरल डिब्बे में भी सफर किया है – वो ज्यादा शांतिपूर्ण था। ये लोग पढ़े-लिखे, अमीर, पर बिना किसी तमीज के थे। सच में ‘पढ़े-लिखे गंवार’।”

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