सावन में केदारनाथ की भीड़ से बचकर मदमहेश्वर धाम के दर्शन करें। रांसी से ट्रेकिंग करके पहुंचे इस दिव्य स्थल पर और पाएं मोक्ष की प्राप्ति।
उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर बसे पांच केदारों (Panch Kedar) में से एक है मदमहेश्वर मंदिर, जो ना केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव है जो आपको शिवलोक की अनुभूति करा सकता है। अगर आप सावन में भोलेनाथ के दिव्य रूप के दर्शन करना चाहते हैं, तो केदारनाथ से अलग, इस बार मदमहेश्वर की यात्रा ज़रूर करें।
मदमहेश्वर कहां स्थित है?
यह मंदिर चौखंभा पर्वत की तलहटी में स्थित है
रुद्रप्रयाग जिले के रांसी गांव से लगभग 18 किलोमीटर की ट्रेकिंग के बाद मंदिर तक पहुंचा जाता है
कैसे पहुंचे मदमहेश्वर मंदिर?
रांसी गांव तक आप बस, कार या टैक्सी से रुद्रप्रयाग होते हुए पहुंच सकते हैं
रांसी से गौंडार तक 2 किमी का रास्ता शेयर टैक्सी से तय किया जा सकता है
इसके बाद लगभग 16 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होती है – ये रास्ता सुंदर घाटियों, झरनों और ऊँचे पेड़ों से भरपूर होता है
ट्रेकिंग रूट:
रांसी → गौंडार → बनखार → खटारा → मदमहेश्वर
कब जाएं मदमहेश्वर?
मंदिर नवंबर से अप्रैल तक बंद रहता है (बर्फबारी के कारण)
मई से जून और सावन का महीना यहां आने के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है
इस दौरान मौसम सुहावना होता है और प्रकृति की गोद में भक्ति का अनुभव मिलता है
पंचकेदार में शिव के कौन-कौन से अंग पूजे जाते हैं?
केदारनाथ शिवजी का कूबड़ (हंप)
तुंगनाथ हाथ (आर्म्स)
रुद्रनाथ सिर (हेड)
मदमहेश्वर नाभि (नैवेल)
कल्पेश्वर जटाएं (मैटेड हेयर)
मदमहेश्वर में शिव की नाभि की पूजा होती है, और मान्यता है कि जो यहां दर्शन करता है उसे मोक्ष और शिवलोक की प्राप्ति होती है।
रहने और खाने की सुविधा
गौंडार, खटारा और मदमहेश्वर में स्थानीय होमस्टे और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं
साधारण भोजन और रात्रि विश्राम की व्यवस्था हो जाती है
श्रद्धालुओं के लिए GMVN (गढ़वाल मंडल विकास निगम) के गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं
क्या-क्या देखें रास्ते में?
बर्फ से ढके चौखंभा की चोटियां
बहते झरने, घने जंगल और मेघों से ढके पहाड़
रास्ते में मिलने वाले गांवों की संस्कृति और आतिथ्य भी अद्भुत अनुभव देती है
जरूरी टिप्स
अच्छी क्वालिटी के ट्रेकिंग शूज जरूर पहनें
छाता/रेनकोट, टॉर्च, गर्म कपड़े साथ रखें
अपने साथ कुछ सूखा नाश्ता, पानी की बोतल और बेसिक फर्स्ट एड जरूर रखें
नेटवर्क बहुत कम रहता है, इसलिए जरूरी कॉल्स पहले कर लें
श्रद्धा के साथ साथ शारीरिक तैयारी भी जरूरी है क्योंकि ट्रेक थोड़ा कठिन हो सकता है