
Trinetra Ganesh Temple Ranthambore History: राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में, रणथंभौर के ऐतिहासिक किले के अंदर एक अनोखा मंदिर। यह मंदिर अपनी भव्यता और खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि अनोखे रहस्य के देश भर में जाना जाता है। राजस्थान के इस मंदिर को त्रिनेत्र गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो कि अकेले नहीं बल्कि अपने पूरे परिवार के साथ किले के अंदर विराजित हैं। भारत के ज्यादातर मंदिरों में भगवान गणेश जी अकेले विराजमान हैं, लेकिन इस मंदिर में बप्पा अपनी दोनों पत्नी रिद्धि और सिद्धि के साथ दोनों पुत्र शुभ-लाभ के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं। चलिए गणपति जी के इस अनोखे मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
राजस्थान के रणथंभौर किला न सिर्फ जंगल सफारी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि हजारों श्रद्धालु त्रिनेत्र गणपति के दर्शन के लिए भी यहां आते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत बप्पा के साथ उनके परिवार का विराजमान होना है। इस अनोखे मंदिर में माता ऋद्धि-सिद्धि, पुत्र शुभ-लाभ और मूषक के साथ गणेश जी इस मंदिर में विराजित हैं। भारत में ऐसा मंदिर दूसरा नहीं है, जिसमें सालों से गजानन स्वामी अपने पूरे परिवार के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं, इसलिए इसे अनोखा मंदिर कहा जाता है।
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कहा जाता है कि 13वीं सदी के अंत में रणथंभौर के राजा हम्मीर अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध कर रहे थे। युद्ध के दौरान लंबे समय तक किला के बाहर घेराव था, जिसके कारण अनाज, राशन और दूसरे चीजों की कमी होने लगी। राजा इस चीज को लेकर चिंतित थे कि अब प्रजा की पूर्ति कैसे होगी, उनका क्या होगा। युद्ध के दौरान राजा को स्वप्न में गणेश जी ने दर्शन दिया और कहा कि कल सुबह तक सब ठीक हो जाएगा। दूसरे दिन सुबह भगवान का चमत्कार हुआ और बप्पा की तीन नेत्रों वाली मूर्ति प्रकट हुई। प्रतिमा के आने के बाद राजा का भंडार अनाज से भर गया। इस घटना के बाद युद्ध भी समाप्त हो गया और इसके बाद राजा ने 1300 ईस्वी में इस मंदिर को बनवाया था।
श्रद्धालुओं का मानना है कि त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर में जो भी पूरे परिवार का दर्शन करने जाता है, उसके परिवार में सुख, समृद्धि, शांति बनी रहती है। गणपति जी का ये तीसरा आंख ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। भक्तों का इस मंदिर और गणेश जी पर खूब आस्था है और उनका मानना है कि उनके जीवन की सभी परेशानी और कठिनाई दूर होती।
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इस मंदिर की एक और अनोखी परंपरा है, जो इसे दूसरे गणपति मंदिरों से अलग और खास बनाती है। इस मंदिर में हर रोज हजारों और लाखों भक्त चिट्ठी लिखकर भेजते हैं। हर दिन भक्त अपनी परेशानी चिट्ठी में लिखकर भेजते हैं और पुजारी जी इन चिट्ठियों को भगवान के श्री चरणों पर अर्पित करते हैं। जो भक्त सच्चे मन से भगवान को चिट्ठी लिखता है बप्पा उसकी समस्या और इच्छा को पूरी कर पत्र का उत्तर देते हैं।