
जब आप फ्लाइट में बैठते हैं, तो शायद आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस प्लेन को उड़ाने वाले पायलट और को-पायलट हैं — उन्हें एक जैसी थाली में खाना नहीं परोसा जाता। क्या यह कोई एयरलाइन की पॉलिसी है या बस संयोग? असल में, इसके पीछे है एविएशन से जुड़ा एक बेहद गंभीर और सोच-समझकर बनाया गया सेफ्टी नियम। तो चलिए आज इस नियम के बारे जान लेते हैं कि आखिर क्यों पायलेट और को पायलेट साथ में खाना शेयर नहीं करते, दोनों का खाना अलग क्यों होता है जानते हैं विस्तार से। चलिए, जानते हैं इसका पूरा कारण —
अगर पायलट ‘स्पेशल मील’ जैसे वेज/नॉन-वेज/ग्लूटन-फ्री खाना मांगता है, तो को-पायलट को सामान्य मील या किसी अन्य ऑप्शन से खाना दिया जाता है।
ये प्रैक्टिस 1980s के बाद से ज्यादा सख्ती से फॉलो की जाने लगी, जब कुछ मामलों में क्रू मेंबर्स को खाना खाने के बाद बीमार होने की रिपोर्ट मिली थी।
कुछ एयरलाइंस में ज़िम्मेदार केबिन क्रू के लिए भी यही रूल फॉलो किया जाता है, खासकर लॉन्ग हॉल इंटरनेशनल फ्लाइट्स में।
मान लीजिए, कोई पायलट किसी खास खाने का स्वाद लेने के चक्कर में निर्णय लेने में चूक कर जाए — तो यह एक छोटी सी गलती भी बड़ी उड़ान दुर्घटना का कारण बन सकती है।