इस वजह से लड़कियां अपनाने लगी हैं सोलोगैमी, क्या समाज के लिए है ये 'खतरा'

गुजरात की क्षमा बिंदु की वजह से सोलोगैमी शब्द इन दिनों चर्चा में हैं। सोशल मीडिया इस शब्द से भरा पड़ा है। महिलाओं के बीच प्रचलित हो रहे सोलोगैमी आखिर क्या होता है आइए जानते हैं।

Nitu Kumari | Published : Jun 4, 2022 11:07 AM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. मोनोगैमी, पोलिगैमी शब्द से हर कोई वास्ता रखता है। इसके बारे में अमूमन हर किसी को बता होगा। लेकिन इन दिनों सोलोगैमी शब्द खूब सुर्खियों में है।गुजरात के क्षमा बिंदु(Kshama Bindu) नामक महिला ने सोलोगैमी को अपनाकर इसे चर्चा में ला दिया है। भारत में वैसे ये पहला मामला सामने आया है। लेकिन विदेशों में यह महिलाओं के बीच काफी प्रचलित है। आइए जानते हैं सोलोगैमी होती क्या है और क्यों इस पर चर्चा हो रही है।

सोलोगैमी का मतलब होता है किसी शख्स का खुद से ही शादी कर लेना। यानी शादी ना तो किसी लड़का की और ना ही किसी लड़की की जरूरत होती है। एक इंसान खुद से ही शादी कर लेता है। सोलोगैमी को अपनाने वालों का कहना है कि यह खुद का मूल्य समझने और खुद से प्यार करने की तरफ एक कदम है। इसे सेल्फ मैरिज भी कहा जा सकता है। यानी शादी के मंडप लड़की खुद के साथ ही सात फेरे लेती है और खुद को सात वचन देती है।

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गुजरात की क्षमा करने जा रही हैं सोलोगैमी 

पश्चिमी देशों में लोग इस शब्द से वाकिफ है। लेकिन भारत में गुजरता की रहने वाली क्षमा बिंदु जो 24 साल की है वो सोलोगैमी अपनाने जा रही हैं। वो 11 जून को खुद से शादी करने जा रही हैं जिसमें वे अपनी मांग में सिंदूर भी भरेंगी और फेरे भी लेंगी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि वो किसी लड़के से शादी नहीं करना चाहती हैं, लेकिन दुल्हन बनना था तो सोलोगैमी की तरफ कदम बढ़ाया। वो खुद को अपनाने जा रही है।
महिलाओं मे सोलोगैमी क्यों हो रही है प्रचलित

-महिलाओं को लगता है कि वो खुद के साथ जितना खुश रह सकती है पार्टनर के साथ नहीं रह पाएंगी।

-सोलोगैमी अपनाकर लड़कियां खुद से और जीवन से जुड़ाव महसूस करती है। इसके लिए किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं होती है।

-कई लड़कियों को पार्टनर की जरूरत नहीं होती है। इसलिए वो इस रास्ते पर आगे बढ़ती हैं।

-जब लड़कियों को पार्टनर नहीं मिलता या फिर वो धोखा खाती हैं तो सोलोगैमी की तरफ बढ़ जाती हैं। 

क्या यह समाज के लिए खतरा हो सकता है !
भारत में यह पहला मामला है। लेकिन सबसे पहले अमेरिका में 1993 में यह प्रचलन में आया है। लिंडा बारकर ने खुद से शादी कर ली थी। उन्होंने कहा था कि सोलोगैमी का मतलब है खुद को खुश रखने के लिए किसी का इंतजार न किया जाए। क्षमा बिंदु की सोलोगैमी को हिंदू धर्म के खिलाफ बताया जा रहा है। हालांकि भारत में इस तरह का पहला मामला सामने आया है। लेकिन अगर लड़कियों में यह प्रचलन बढ़ा तो लड़कों को दुल्हन ढूंढने के लिए मशक्त करनी पड़ सकती है।

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