एक माह से अकेले रह रहे ये बच्चे, घर में ना मम्मी-पापा ना खाने का सामान..रात में नींद से उठ रोने लगते

कोरोना वायरस बीमारी के डर ने हर किसी को घर में कैद कर दिया है। लॉकडाउन के दौरान लोगों को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक मार्मिक कहानी मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से सामने आई है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 22, 2020 9:02 AM IST / Updated: Apr 22 2020, 04:29 PM IST

सीहोर (मध्य प्रदेश). कोरोना वायरस बीमारी के डर ने हर किसी को घर में कैद कर दिया है। लॉकडाउन के दौरान लोगों को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक मार्मिक कहानी मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से सामने आई है। एक युवक अपने दो बच्चों को घर छोड़कर पत्नी के साथ खुद का इलाज कराने घर से करीब 1500 किलोमीटर दूर गया था। लेकिन लॉकडाउन के चलते वह वहीं फंस गया। 

बच्चों को घर छोड़ इलाज करने गए थे मात-पिता

दरअसल, इछावर जल संसाधन विभाग में कार्यरत बाबूलाल 19 मार्च को पत्नी जयमाला के साथ अपनी एक बीमारी का ऑपरेशन के लिए बेंगलुरु गया था। पति-पत्नी को लगता था कि वह 3 से 4 दिन में वापस आ जाएंगे। इसलिए वह बच्चों को घर छोड़कर गए थे। लेकिन, इसी बीच लॉकडाउन हो गया और वो वहीं फंस गए।

मासूमों को रात में नहीं आती नींद
एक महीने से दोनों भाई अजय (15) और लक्ष्य (13) घर में अकेले हैं। रात को दोनों अकेले सोते हैं। छोटे बच्चे की बीच-बीच में नींद खुल जाती है और वह डरकर उठ जाता है। मम्मी को याद कर वह रोने लगता है। हालांकि, दोनों भाई रोज मम्मी पापा से वीडियो कॉल करते हैं।

मासूमों के सामने पेट भरने का संकट
दोनों अभी तक एक समाजसेवी की रसोई में खाना खा रहे थे। लेकिन, अब वह भी बंद हो गई। अब दोनों भाइयों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया। हालांकि क्षेत्र की एसडीएम प्रगति वर्मा को जब यह जानकारी लगी तो तो वह बच्चों के पास पहुंचीं। जहां इनको खाने के पैकेट मुहैया कराया जा रहा है।

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