पारिवारिक विवाद समेत अन्य मामलों के निपटारे के लिए बनाई गई सेंट्रल सिंधी पंचायत में पांच सदस्य हैं। इनमें सीनियर एडवोकेट और मनोवैज्ञानिक काउंसलर शामिल हैं। समिति की कोशिश रहती है कि प्रकरण का निराकरण समाज के स्तर पर हो जाए।
भोपाल (Madhya Pradesh) । शादी के बाद अक्सर पति-पत्नी के बीच विवाद होता है, जो बाद में परिवार से जुड़ जाता है और मामला पंचायत तक पहुंच जाता है। एक रिसर्च से में यह बात सामने आई है कि बात बढ़ने के पीछे मायके पक्ष की दखल और समझाइश होती है। जिसे गंभीरता से लेते सिंधी पंचायत ने अनोखा फैसला लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंचायत ने यह फैसला लिया गया है कि लड़की के मायके वालों को हिदायत दी जाए कि वे शादी के बाद कम से कम दो साल तक उसके जीवन में दखल न दें। लड़की से बात करनी ही हो तो पांच मिनट में हालचाल पूछकर फोन रख दें। लड़कियों को समझाइश दी गई है कि वे ससुराल की छोटी-मोटी बातों को मायके तक न पहुंचने दें।
इस कारण लिया फैसला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हिदायत इसलिए दी गई है कि सिंधी समाज में हर महीने 80 से ज्यादा केस पति-पत्नी के बीच विवाद के पहुंच रहे हैं। इनमें से कई दंपती की शादी हुए दो साल भी नहीं हुए हैं। पंचायत ने पड़ताल की तो पता चला कि मायके वालों का दखल इस विवाद की जड़ है। यह फैसला लोकस्तर पर गठित 28 सिंधी पंचायतों और सेंट्रल सिंधी पंचायत में पहुंचने वाले प्रकरणों की समीक्षा के बाद किया गया।
इस नहीं ढल पाती बहू
सेंट्रल सिंधी पंचायत में पहुंचे 95 प्रतिशत प्रकरणों में देखने में आया कि मायके वालों के ज्यादा दखल के कारण नई नवेली बहू ससुराल के रहन-सहन में नहीं ढल पाती। लड़के के परिवार की एक ही शिकायत रहती है कि उनकी बहू पूरे समय मायके वाले के साथ फोन पर व्यस्त रहती है। रोकने पर दहेज प्रताड़ना की धमकी मिलती है।
पारिवारिक विवाद
पारिवारिक विवाद समेत अन्य मामलों के निपटारे के लिए बनाई गई सेंट्रल सिंधी पंचायत में पांच सदस्य हैं। इनमें सीनियर एडवोकेट और मनोवैज्ञानिक काउंसलर शामिल हैं। समिति की कोशिश रहती है कि प्रकरण का निराकरण समाज के स्तर पर हो जाए।
(प्रतीकात्मक फोटो)