कोरोना वॉरियर्स के लिए पीपीई किट पहनना एक चुनौती है। घंटों पीपीई किट पहनने से बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है। इससे बैचेनी होने लगती है। पसीना छूट जाता है। लेकिन अपनी ड्यूटी के चलते कोरोना वॉरियर्स यह सब सहन कर लेते हैं। जबलपुर के एक युवक ने वातानुकूलित पीपीई किट का आविष्कार किया है। यह 5-6 घंटे तक कूल रखेगी। बताया जा रहा है कि इस आविष्कार को पेंटेंट मिल गया है। सरकार ने भी इस पीपीई किट में रुचि दिखाई है।
जबलपुर, मध्य प्रदेश. कोरोना वॉरियर्स के लिए पीपीई किट पहनना एक चुनौती है। घंटों पीपीई किट पहनने से बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है। इससे बैचेनी होने लगती है। पसीना छूट जाता है। लेकिन अपनी ड्यूटी के चलते कोरोना वॉरियर्स यह सब सहन कर लेते हैं। जबलपुर के एक युवक ने वातानुकूलित पीपीई किट का आविष्कार किया है। यह 5-6 घंटे तक कूल रखेगी। बताया जा रहा है कि इस आविष्कार को पेंटेंट के लिए भेजा गया है। सरकार ने भी इस पीपीई किट में रुचि दिखाई है।
पीपीई किट पहनना इस तरह किया आसान...
पीपीई किट (Personal protective equipment) को कूल रखने वाले इस इक्विपमेंट का आविष्कार किया है जबलपुर के रहने वाले मोहम्मद असद मंसूरी ने। असद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बी-टेक कर रहे हैं। मंसूरी ने अपने इस आविष्कार को वेंटिलेटेड पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (वीपीपीई) नाम दिया है। इसे पीपीई किट से जोड़कर कमर में बांधा जा सकता है। इसका वजन काफी हल्का है। लिहाजा यह बोझ नहीं बनेगा। जिल प्रशासन ने इस आविष्कार की सराहना करते हुए चिकित्सा विभाग के जरिये इस संबंध में एक प्रस्ताव इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को भेजा है। पीएमओ को भी इसका प्रेजेंटेशन भेजा गया है।
ऐसा है उपकरण...
महज 800 ग्राम वजनी इस उपकरण की लागत करीब 3500 रुपए आई है। इस उपकरण में एरोडायनेमिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह तकनीक रॉकेट के इंजन को ठंडा करने में यूज होती है। असद ने बताया कि इस उपकरण को और छोटा, हल्का और बेहतर बनाया जा सकता है। इस उपकरण के पाइप से निकली ठंडी हवा पीपीई किट में जाएगी। इस उपकरण को एक बार चार्ज करने पर करीब 6 घंटे चलाया जा सकेगा।