जानें आपके शहर में कब निकलेगा करवा चौथ का चांद, असम में सबसे पहले और महाराष्ट्र में सबसे आखिरी में होगा दीदार

महिलाएं चांद के दर्शन कर अर्घ्य देती हैं। पति के हाथों से जल और मिष्ठान्न लेकर व्रत खोलती हैं। इस बार करवा चौथ तिथि पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में है। चंद्रमा का रोहिणी नक्षत्र में होना बहुत ही शुभ संकेत माना गया है। महिलाओं को पूजा के बाद अब चांद का इंतजार है। 
 

भोपाल : करवा चौथ (karwa chauth 2021) पर सुहागिनों का सुबह से ही निर्जला व्रत जारी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है। महिलाएं शाम के बाद चांद के दर्शन कर अर्घ्य देती हैं। पति के हाथों से जल और मिष्ठान्न लेकर व्रत खोलती हैं। इस बार करवा चौथ तिथि पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में है। चंद्रमा का रोहिणी नक्षत्र में होना बहुत ही शुभ संकेत माना गया है। महिलाओं को पूजा के बाद अब चांद का इंतजार है। 

कब होगा चांद का दीदार
अब से बस थोड़ी देर बाद आसमान में करवा चौथ का चांद निकलेगा। चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य देने के बाद महिलाएं पति के हाथ से पानी पीकर ही व्रत खोलती हैं। चंद्रमा की पूजा से पहले भगवान गणेश और चौथ माता की भी पूजा होती है। जानिए देशभर के शहरों में चांद निकलने का समय..

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1- दिल्ली:  08 बजकर 08 मिनट 
2-नोएडा:  08 बजकर 07 मिनट 
3- मुंबई :  08 बजकर 47 मिनट  
4- लखनऊ: 07 बजकर 56 मिनट
5- पटना: 07 बजकर 42 मिनट
6-पानीपत: 08 बजकर 11 मिनट 
7-अलीगढ़: 08 बजकर 06 मिनट 
8-आगरा: 08 बजकर 07 मिनट 
9- मथुरा: 08 बजकर 08 मिनट 
10- कोलकाता: 07 बजकर 36 मिनट 
11- देहरादून: 8 बजकर 03 मिनट 
12: बरेली: 07 बजकर 59 मिनट 
13- गोरखपुर: 07 बजकर 47 मिनट
14- कानपुर: 08 बजकर 39 मिनट 
15- प्रयागराज: 07 बजकर 56 मिनट 
16- जयपुर: 08 बजकर 05 मिनट
17-इंदौर: 08 बजकर 26 मिनट 
18- जयपुर: शाम 08 बजकर 06 मिनट 
19- भोपाल: शाम 08 बजकर 19 मिनट
20- चंडीगढ़: शाम 08 बजकर 04 मिनट

क्या है कथा
वामन पुराण में बताई व्रत की कथा में वीरावती सौभाग्य और अच्छी संतति के लिए करवा चौथ का उपवास रखकर चंद्रमा के निकलने का इंतजार करती हैं। भूख-प्यास से पीड़ित बहन को मूर्च्छित होते देखकर उसके भाई से रहा नहीं जाता और वह मशाल लेकर बरगद पर चढ़ जाता है और पत्तों के बीच से मिथ्या चंद्र दर्शन करा देता है। जिससे वीरावती के पति की मृत्यु हो जाती है। देवी पार्वती द्वारा पुन: व्रत विधि निर्देशित करने के बाद वीरावती को सौभाग्य प्राप्ति होती है और उसके पति के प्राण बच जाते हैं।

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