क्या खरगोन हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ, जानिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने क्या कहा

वीडी शर्मा ने कहा- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र के तहत अपनी भूमिका निभा रहे हैं। वह देश के खिलाफ हमेशा से ही जाते रहे हैं। माहौल बिगाड़ना उनका काम बन गया है। इसकी जांच होनी चाहिए।

भोपाल : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के खरगोन में हुई हिंसा (Khargone Violence) पर सियासत लगातार जारी है। एक तरफ गलत ट्वीट करने पर कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) पर चार केस होने के बाद गिरफ्तारी  की तलवार लटक रही है तो दूसरी तरफ अलग-अलग आरोप भी लगाए जा रहे हैं। अब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस दंगों के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होना बताया है। उनका कहना है कि इसके पीछे इसी संगठन का हाथ हो सकता है।

PFI कर रहा फंडिंग- वीडी शर्मा
वीडी शर्मा (VD Sharma) ने कहा कि इस तरह की हिंसा के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हमेशा से ही हाथ पाया गया है। यही संगठन ऐसे दंगों के लिए फंडिंग करती है। उन्होंने दिग्विजय सिंह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे हमेशा से ही नक्सलवाद और आतंकवाद का समर्थन करते रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने सेना को भी नहीं बख्शा है। कांग्रेस ने इनको यही काम ही दिया है कि कुछ ऐसा किया जाए ताकि देश का माहौल बिगाड़ा जा सके। दिग्विजय सिंह की भूमिका की जांच होनी चाहिए।

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दिग्विजय ने जो किया वह शर्मनाक - कैलाश विजयवर्गीय

वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने भी दिग्विजय सिंह के ट्वीट के बहाने उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा 10 साल तक किसी राज्य का मुख्यमंत्री अगर ऐसा करता है तो यह शर्मनाक है। उन्हें इस तरह का गैरजिम्मेदाराना काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खरगोन में जो हुआ, उस पर प्रशासन अपना काम कर रहा  है। 

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क्या है PFI

PFI का पूरा नाम पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है। इसे कट्टरवादी इस्लामिक संगठन कहा जाता है, जो साउथ इंडिया में अस्थिरता फैलाने में सक्रिय रहा है। उत्तर भारत में भी उसकी सक्रियता कई बार चर्चाओं में रही है। हालिया हुए कर्नाटक में हिजाब विवाद में भी इसी संगठन का हाथ बताया गया। इसकी स्थापना साल 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के सफल होने के बाद हुआ। धीरे-धीरे इस संगठन से दूसरे कट्टरवादी सोच वाले संगठन जुड़ते गए। वर्तमान में इसका असर 16 राज्यों में है। इससे 15 से ज्यादा मुस्लिम संगठन जुड़े हुए हैं। 

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